विश्व की पहली रियासत जहाँ से चांदी के गोले दाग कर जंग जीती गयी।

जब बात शौर्य और वीरगाथाओं की होती है तब राजस्थान का नाम सबसे पहले लिया जाता है,राजस्थान के कण कण में अमरता और मातृभूमि के लिए समर्पण बसता है।राजस्थान का शायद ही कोई किला या दुर्ग होगा जो किसी न किसी ऐतिहासिक और बहादुरी की कहानी ना कहता हो।ऐसी ही एक हकीकत से आज हम आपको रूबरू करवा रहे हैं,राजस्थान के बीकानेर का चुरू दुर्ग जो पूरी दुनिया मे एकमात्र ऐसा दुर्ग रहा है जहाँ से दुश्मनों पर चांदी के गोलों की बरसात की गई थी।आजादी की रक्षा के ख़ातिर बारूद खत्म हो जाने पर इस किले से चांदी के गोले दागे गए थे।

"धोर ऊपर नीमड़ी, धोरे ऊपर तोप

चांदी गोला चालतां ,गोरा नाख़्या टोप।

विको फीको पड़त्र गयो,बण गोरां हमगीर।

चांदी गोला चलिया,चुरू री तासीर"।

ये लोकोक्ति बीकानेर में आज भी लोगो को याद है।चुरू का ये अमर इतिहास 1814 ईसवी में बना जब चुरू पर ठाकुर शिवजी सिंह का राज हुआ करता था,वो अत्यंत महत्वाकांक्षी और स्वाभिमानी शासक थे,चुरू के ही समीप की एक और रियासत के महाराजा सूरत सिंह भी काफी महत्वाकांक्षी थे,लेकिन इन दोनों ही शासकों की आपस मे अनबन रहा करती थी,इतिहासकारों की माने तो शिवजी सिंह का सैन्यबल 200 पैदल और 200 ही घुड़सवार के साथ भारी मात्रा में अस्त्र शस्त्र का था,लेकिन युद्ध की स्थिति में सैन्यबल में अचानक बढ़ोतरी हो जाने से दुश्मन भी हैरान हो जाता क्योंकि तब वहां की जनता भी अपने राजा का पूरा सहयोग करने जंग के मैदान में तन,मन,धन,से उतर जाती थी।एक बार सूरत सिंह ने अपनी सेना  और अंग्रेजों के सहयोग से चुरू पर चढ़ाई कर दी,और चुरू दुर्ग को चारों ओर से घेर लिया और तोपों से गोलाबारी शुरू कर दी,जवाब में दुर्ग से भी खूब गोला बारी की गई,दुश्मन से जमकर लोहा लिया गया,लेकिन कुछ ही देर में तोप के गोले समाप्त हो गए,तब लुहारों को नए गोले बनाने के आदेश दिए लेकिन बारूदी गोले के निर्माण के लिए सीसा भी समाप्त हो चुका था,ये सुनकर ठाकुर कुशाल सिंह को सभी सेठो, साहूकारों और पूरी जनता ने चांदी लाकर समर्पित कर दी।लोहार और सुनारों ने मिलकर चांदी के गोले बनाये ,जब चांदी के गोले दुश्मन सेना पर दागे गए,तब शत्रु भी ये देखकर हैरान हो गए,कहा जाता है कि चांदी के गोलों को देखकर शत्रु ने जनता की भावनाओं का आदर करते हुए दुर्ग का घेरा हटा लिया था।तभी से ये लोकोक्ति पूरे बीकानेर में बच्चे बच्चे की ज़ुबान पर छा गयी। चुरू किले का निर्माण ठाकुर कुशल सिंह ने करवाया था,इस किले के निर्माण का उद्देश्य नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना था। चांदी के गोले दागने वाला चुरू इतिहास के पन्नो में विश्व की पहली रियासत बन गया है।