लॉक डाउन - ऑन लाइन क्लासेस का फॉर्मूला बड़ा रहा है मुश्किलें।

कोरोना वायरस के रोकथाम और इससे बचाव के लिए भारत सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन घोषित किया है। लॉकडाउन के चलते देश में आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी सरकारी व गैरसरकारी कंपनियां सहित सभी शिक्षण संस्थान भी बंद हैं।बच्चों की पढ़ाई का हर्जाना ना हो इसके लिए कई स्कूल ऑनलाइन क्लासेज के जरिए घर में ही पढ़ाई करवा रहे हैं। लेकिन सभी बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लास अटेंड कर पाना खासा मुश्किल हो रहा है, जिससे इनके माता-पिता को खासकर दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है , पेरेंट्स का कहना है कि ऑनलाइन क्लास के लिए डेस्कटॉप या लैपटॉप की आवश्यकता पड़ रही है, जो अधिकांश बच्चों के घरों में उपलब्ध नहीं है, और बच्चे स्मार्टफोन से क्लास लेना नहीं चाहते, क्योंकि क्लास के दौरान शेयर स्क्रीन भी करनी होती है, जिसमें दिक्कत आती है।साथ ही स्कूल की तरफ से ऐसे प्रोजेक्ट इत्यादि भी दिए जा रहे हैं जिनमे चार्ट,शीट,फ़ोटो स्टेट,प्रिंट आउट इत्यादि की आवश्यकता पड़ रही है जो कि लॉक डाउन की स्थिति में बाज़ारो से ला पाना फ़िलहाल नामुमकिन है।ऑन लाइन क्लासेस से बच्चों को तो दिक्कत हो ही रही है साथ पेरेंट्स भी बहुत परेशान हो रहे हैं।खासकर उन लोगो के लिए ऑन लाइन क्लासेस का फॉर्मूला बहुत पेचीदा हुआ जा रहा है जो ज़्यादातर काम अपने फ़ोन के माध्यम से ही कर लेते हैं जैसे मीडिया में काम करने वाली महिलाओं के लिए उनके बच्चों की ऑन लाइन क्लासेस परेशानी का सबब बन चुका है,साथ ही बच्चों को जितना अच्छा एक माँ पढ़ा सकती है उतना घर का कोई अन्य सदस्य नही पढ़ा पता,ऐसे में लॉक डाउन की स्थिति के चलते उन महिलाओं को भी ऑनलाइन क्लासेस में अपने बच्चों की मदद करने में खासी परेशानी हो रही है जो अस्पताल, पुलिस विभाग,इत्यादि में काम करती हैं और देश सेवा करने की वजह से बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस पर ध्यान नही दे पा रही हैं,लॉकडाउन की वजह से स्कूल बंद हुए तो उत्तराखंड के पहाड़ों में भी दिल्ली, देहरादून आदि शहरों से लोग अपने बच्चों को लेकर अपने घरों की तरफ लौटे। इस बीच जिंन स्कूलों में इनके बच्चे पढ़ रहे थे उन स्कूलों ने भी ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी, लेकिन पहाड़ में कम्प्यूटर, लैपटॉप, इंटरनेट की दिक्कत के चलते इनके बच्चे ऑनलाइन क्लास ज्वाइन नहीं कर पा रहे हैं।

दिल्ली, गाजियाबाद, देहरादून जैसे शहरों से पहाड़ लौटे बच्चों के माता-पिता से जब हमने इस बारे में बात की तो वह बच्चों की पढ़ाई को लेकर चिंतित नजर आए उनका कहना है कि बच्चों की पढ़ाई की खातिर हमने गांवों से शहरों की ओर गए लेकिन अब लॉकडाउन के कारण हमारे बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है।

इनका कहना है कि गांव में कम्प्यूटर, लैपटॉप, इंटरनैट नहीं होने के कारण हमारे बच्चे ऑनलाइन क्लास ज्वाइन नहीं कर पा रहे हैं, इस समस्या से हम स्कूल को अवगत भी करा चुके हैं, जिसके बाद स्कूल क्लास की रिकार्डिंग व पढ़ाए जा रहे सब्जेक्ट के नोट्स पीडीएफ फाइल में व्हाट्सएप पर भी उपलब्ध करा रहे हैं। लेकिन मोबाइल स्क्रीन पर ये सब पढ़ पाना मुश्किल हो रहा है,साथ ही स्कूलों के द्वारा कुछ ऐसे प्रोजेक्ट भी न लाइन दिए जा रहे हैं जिनमे फ़ोटो स्टेट और प्रिंट की ज़रूरत पड़ रही है लेकिन लॉक डाउन के चलते प्रिंट निकालने की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है।हालांकि कुछ बच्चों के माता-पिता का कहना है कि यदि वह लॉकडाउन के दौरान शहर में भी रहते तो यही परेशानी उन्हें वहां भी उठानी पड़ती, क्योंकि वहां भी उनके पास ऑनलाइन क्लास ज्वाइन करने कि लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।

बच्चों के पेरेंट्स की इन बातों से साफ जाहिर होता है कि लॉकडाउन के दौरान निकाला गया ऑनलाइन क्लास का फार्मूला अभी हर बच्चे की पहुंच से दूर है।