रुड़की की स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ सत्यवती सिन्हा का आज पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया

रुड़की की स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ सत्यवती सिन्हा का आज पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया । उनके शव को तिरंगे में लपेटा गया था पुलिस की सलामी के बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया ।सिन्हा की शव यात्रा में रुड़की पुलिस प्रशासन के बड़े अधिकारियों के अलावा कांग्रेस के दो विधायको ने भी घर पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की । श्रीमती सिन्हा का कल दोपहर लगभग साढ़े तीन बजे लम्बी बीमारी के चलते देहांत हो गया था। डॉ सत्यवती सिन्हा 92 साल की थी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के अंतिम संस्कार में कोई भी सरकार का नुमाइंदा ना पहुंचने से लोगो मे चर्चा का विषय बना रहा। वही कांग्रेस विधायक काज़ी निज़ामुद्दीन ने भी भाजपा पर जमकर निशाना साधा ।\\r\\n दरअसल रुड़की निवासी सत्यवती सिन्हा ने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था। वो कई बार जेल भी गयी। वह रुड़की की एकमात्र जीवित स्वतंत्रता सेनानी थी। आज़ादी की अलख जगाने में सत्यवती सिन्हा की अहम भूमिका रही। शादी के पांच महीने बाद ही स्वतंत्रता संग्राम पति के साथ अंग्रेज़ो के खिलाफ जंग छेड़ दी थी। परेशान अंग्रेज़ी हकूमत ने उन्हें जेल में डाल दिया था ।श्रीमती सिन्हा का विवाह 16 साल की उम्र में 8 मार्च 1942 को डॉ जगदीश नारायण सिन्हा के साथ हुआ था।\\r\\n उनके पति भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। 9 सितंबर 1942 को उन्होंने पति के साथ मिलकर अंग्रेज़ो के खिलाफ जुलूस निकाला। इससे लोगो मे देशभक्ति की भावना भरी। इसकी सूचना अंग्रेज़ी हकूमत को लगी तो उन्होंने सत्यवती सिन्हा को जेल में डाल दिया। अंग्रेज़ी हकूमत के खिलाफ गांव गांव में पर्चे डालकर लोगो को हकूमत के खिलाफ खड़ा किया । \\r\\n उनकी लगातार बढ़ती सक्रियता से अंग्रेज़ी हकूमत भी परेशान हो गयी। उनकी गिरफ्तारी के लिए वारंट भी जारी हुए लेकिन उसकी परवाह किये बगैर वो देश को आज़ाद कराने के जज़्बे के साथ लड़ाई लड़ती रही। रुड़की के आस पास के गांव जाकर उन्होंने अंग्रेज़ सरकार के खिलाफ लोगो को खड़ा करने का काम किया। वह मेरठ और बरेली की जेल में बंद भी रही। हमेशा सत्यवती सिन्हा ने खादी की साड़ी पहनी तत्कालीन राष्टपति प्रतिभा पाटिल और प्रधानमंत्री गुजराल ने उनको सम्मानित भी किया। श्रीमती सिन्हा को नगर माता का दर्जा मिला हुआ था।