राहुल गांधी का आंतकवादी प्रेम

कहते हैं ज्यादा बड़बोला होना भी आपको ले डूबता है  अक्सर नेता भाषण देते वक्त अपनी मर्यादा भूल जाते है। इधर लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा हुई नही कि राहुल गांधी ने भी एक भाषण के दौरान "जैश-ए-मोहम्मद" के सरगना मसूद अजहर के नाम के आगे जी लगाकर खुद के लिये मुसीबत पैदा कर ली।बात भी ठीक है राहुल के दिल में आखिर आतंकवादियो के लिये इतनी इज्जत क्यों?इस वक्त पूरे देश में जो हालात है ऊपर से चुनावी माहौल ऐसे में राहुल और उनकी पार्टी को अगर चुनाव जीतना है तो देश भक्ति की बाते बोलनी चाहिये थी न कि दूसरी पार्टी के नेता को नीचा दिखाने के चक्कर मे आंतकवादियों को सम्मान देना चाहिये था,आंतकवादी को अगर मसूद अजहर जी कह कर आप पुकारोगे तो दूसरी पार्टी के लोगो के साथ साथ आपको जनता भी धो डालेगी।आप शायद ये भूल रहे है कि भारत की जनता बहुत भावुक और देश प्रेमी है खामखां आपने खुद को ट्रोल करवा कर चुनावी मौसम मे वोटो की दिशा ही पलट दी है ।मसूद अजहर और डोभाल के कंधार  वाले मैटर को बिना पूरी जानकारी के भाषण मे यूं उछालकर अपनी किरकिरी न जाने आपने क्यों करवा ली,फिर कोई आपको पप्पू कहे तो आप बुरा मान जाते हो अरे भई देश को और देश के हर नागरिक को आंतकवादियो से नफरत है इतना नही समझ आता क्या?आपकी भाषणो की स्क्रिप्ट कौन लिखता है देख लो एक बार अच्छे से कहीं स्क्रिप्ट राईटर किसी और पार्टी का सपोर्टर तो नही ना ?