फैक्ट चेक - क्या जवाहरलाल नेहरू और उनके पूर्वज वास्तव में हिन्दू थे या मुस्लिम ? सभी दावों का वायरल सच ये है।

आवाज़24x7 न्यूज़ पोर्टल किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष या विपक्ष में नही है,लेकिन जब बात सच की आती है तब बिना सत्यता की जांच करे, किसी पर भी आरोप प्रत्यारोप लगाना कहीं की भी समझदारी नही है।आज़ाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के धर्म को लेकर सोशल मीडिया में तरह तरह की पोस्ट आये दिन वायरल होती रहती है,कि जवाहरलाल नेहरू हिन्दू नही बल्कि मुस्लिम थे,उनके दादा का नाम गयासुद्दीन गाजी था,इन सभी पोस्टों में किया गया ये दावा कितना सच है, इसकी पड़ताल आवाज़24x7 ने अच्छी तरह छानबीन करके की, तो पाया कि ये सभी वायरल पोस्ट झूठी हैं जवाहरलाल नेहरू और उनके खानदान की धार्मिक पहचान को लेकर सोशल मीडिया में फेक न्यूज़ पोस्ट की जा रही हैं।

सोशल मीडिया से ग्रेजुएट लोग व्हाट्सएप और फ़ेसबुक से ही उच्च शिक्षा प्राप्त करके किसी भी झूठी खबर को वायरल करने में खुद को सोशल मीडिया का प्रोफेसर मान लेते हैं और लोगों तक झूठी जानकारी फैलाकर सिर्फ भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं । आईये आज थोड़ा सच भी जान लेते हैं।

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट में नेहरू पोर्टल सर्च करने पर मिला जिसमे नेहरू ख़ानदान के पूरे वंश वृक्ष को दिखाया गया है।इससे मिली जानकारी के मुताबिक पंडित जवाहर लाल नेहरू के दादा का नाम गंगाधर नेहरू था ना कि गयासुद्दीन गाज़ी।गंगाधर की शादी इंद्राणी से हुई थी गंगाधर के पांच बच्चे हुए थे जिनमें से तीन बेटे और दो बेटियां हुई थी।तीन बेटों में बंसीधर नेहरू,नंदलाल नेहरू,और मोतीलाल नेहरू थे और बेटियों में महारानी,पटरानी,थी।मोतीलाल नेहरू की शादी स्वरूप रानी के साथ हुई और उनके तीन बच्चे हुए जिनके नाम जवाहरलाल नेहरू, सरूप कुमारी(विजया लक्ष्मी), और कृष्णा थे।नेहरू धर्म से हिन्दू थे और जाति से ब्राह्मण थे,बनारस विश्वविद्यालय में आज भी जवाहरलाल नेहरू की वो तस्वीरे मौजूद हैं जिसमे वो जनेऊ पहने अपनी माँ की अस्थि विसर्जन की क्रिया करते हुए नज़र आ रहे हैं।

 

जवाहरलाल नेहरू ने अपनी आत्मकथा "मेरी कहानी" में भी ज़िक्र किया है कि" मेरे पिताजी की योरोप यात्रा ने कश्मीरी पंडितों में अंदर से एक तूफान खड़ा कर दिया,यूरोप से लौटने पर उन्होंने प्रायश्चित करने से इनकार कर दिया.....कश्मीरी युवक विलायत पढ़ने गए और लौट कर सुधारक दल में मिल गए,लेकिन उन सबको प्रायश्चित करना पड़ा"।

ऐसा उन्होंने इसीलिए लिखा क्योंकि रूढ़िवादी कश्मीरी लोगों को एक ब्राह्मण का विलायत जाना ठीक नही लगा, उस दौर में विलायत जाने वाले को जाति से बाहर कर दिया जाता था।इसी आत्मकथा में उन्होंने कमला नेहरू के रूढ़िवादी कश्मीरी ब्राह्मण होने का भी ज़िक्र किया है।

अपनी आत्मकथा में जवाहरलाल नेहरू ने घराना नाम के अध्याय में अपने कश्मीरी मूल के निवासी होने का ज़िक्र भी किया है और लिखा है कि "हमारा परिवार बहुत बड़ा था,जिसमे चचेरे भाई वगैरह और दूसरे पास के रिश्तेदार बहुत थे जैसे कि हिन्दू परिवारों में आम तौर पर हुआ करता है......

 हम लोग कश्मीरी हैं,200 बरस से ज़्यादा हुए होंगे ,19वीं सदी के शुरू से हमारे पुरखे यश और धन कमाने के इरादे से कश्मीर की सुंदर ताराईओ से नीचे के उपजाऊ मैदानों में आये,वो दिन मुग़ल साम्राज्य के पतन के दिन थे"।

 

जवाहरलाल नेहरू की शादी कमला नेहरू से हुई और इन दोनों की एक बेटी हुई जिसे आप और हम इंदिरा गांधी के नाम से जानते हैं,जिन्होंने बड़े होकर भारत की कमान संभाली और देश की प्रधानमंत्री बनी।इंदिरा की शादी पारसी परिवार के फिरोज़ गेन्धी से हुई।गांधी नही गेन्धी ,जी हां ये भी भ्रम सोशल मीडिया में खूब वायरल होता आया है कि फिरोज़ गांधी थे और मुस्लिम थे, जबकि फिरोज़ का सर नेम गेन्धी था जो कि पारसी धर्म मे एक जाति होती है।फ़िरोज गेन्धी के पिता का नाम जहांगीर गेन्धी था।इंदिरा और फिरोज़ गेन्धी की शादी भी हिन्दू रीति रिवाजों के अनुसार ही हुई थी।इस शादी में भी दोनों धर्मो को लेकर काफी जटिलताएं सामने आई थीं।फिरोज़ के परिवार वाले चाहते थे कि शादी पारसी धर्म के मुताबिक हो जबकि जवाहरलाल नेहरू चाहते थे कि शादी हिंदू रीति रिवाजों के मुताबिक हो।इस बात का खुलासा भी एक 16 मार्च 1942 को लक्ष्मी धर को लिखी एक चिट्ठी से होता है ,जिसमे नेहरू ने अपनी बेटी की शादी में आ रही जटिलताओं का ज़िक्र किया था।इंदिरा को गांधी सर नेम महात्मा गांधी ने दिया था ,शादी के बाद वो गेन्धी कहलाती ,चूंकि महात्मा गांधी ने इंदिरा की शादी में पढ़े जाने वाले मंत्रो का चयन बहुत सोच समझ कर किया था इंदिरा गांधी का विवाह संस्कृत और हिंदी भाषा मे सम्पन्न भी महात्मा गांधी की वजह से ही हुआ था।इसीलिए इंदिरा को गेन्धी सरनेम की जगह गांधी ही ज़्यादा अच्छा लगा।

         नेहरू खानदान ने देश के लिए क्या किया और क्या नही ये एक अलग मुद्दा है,क्योंकि कोई भी राजनीतिक दल आजतक जनता की नज़रों में पूरी तरह खरा नही उतर पाया है।लेकिन आज आवाज़24x7 न्यूज़ पोर्टल की पड़ताल में ये साबित होता है कि जवाहरलाल नेहरू और उनके पूर्वज हिन्दू ही थे ना कि मुस्लिम।