2017 से सुशासन सरकार के चक्कर काट रहा आई एम ए कर्मचारी

*आईएमए के कर्मचारी को अवैध कार्य रुकवा ना पड़ा भारी*
*पार्षद हितेश गुप्ता आई एम ए के कर्मचारी पर भारी*
*एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने भी फरियादी को ट्वीट पर किया ब्लॉक*
*आखिर किसके दबाव में काम कर रही देहरादून पुलिस*
*दो साल से आई एम ए का कर्मचारी खा रहा दर दर की ठोकरें लेकिन आज तक भी नहीं हुई आरोपियों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज*
आपको बताते चलें कि मामला 3 जून 2017 का है एक सरकारी आई एम ए का के कर्मचारी को किस तरह अधिकारियों के कहने पर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराना महंगा पड़ गया ?
आईएमए के कर्मचारी राजकुमार ने बताया कि 3 जून 2017 को कैंट बोर्ड प्रेम नगर द्वारा पार्षद हितेश गुप्ता अवैध तरीके से आईएमए की बाउंड्री में पानी की पाइप लाइन डाल रहे थे जिस पर आईएमए के अधिकारीयो ने एक रिपोर्ट दर्ज करने के लिए कर्मचारी राजकुमार को थाने भेजा लेकिन पार्षद रितेश गुप्ता को रिपोर्ट दर्ज करवाना नागवार गुजरा कर्मचारी राजकुमार का आरोप है कि पार्षद के परिवार के कुछ लोग अन्य लोगों को लेकर मेरे घर पहुंचे और मेरी पत्नी व बच्चों पर हमला करते हुए मारपीट शुरू कर दी जिससे मेरी पत्नी व बच्चे चोटिल हो गए और मैंने 100 नंबर पर डायल कर पुलिस बुलाई लेकिन पुलिस ने आनाकानी करते हुए थाने बुलाया जिस पर हम लोग थाने गए लेकिन हमारी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई उसके बाद एसएसपी निवेदिता कुकरेती से गुहार लगाने उनके कार्यालय गया लेकिन एसएसपी नहीं मिली|
*एसपी सिटी के कहने पर भी दर्ज नहीं हुई रिपोर्ट*
वहां पर एसपी सिटी प्रदीप राय मौजूद थे जिनको मैंने पूरा वाक़्या बताया जिस पर उन्होंने एस ओ प्रेम नगर को फोन पर मामला दर्ज करने के लिए कहा लेकिन उनके कहने के बावजूद भी कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई ।
*मानवाधिकार की भी खटखटाई कुंडी लेकिन नहीं मिला न्याय*
कर्मचारी राजकुमार ने बताया की उसके बाद मैंने मानवाधिकार में अपनी गुहार लगाई जिसके बाद मानवाधिकार के द्वारा पुलिस प्रशासन को मेरी सुरक्षा व एफ आई आर दर्ज करने के आदेश दिए गए लेकिन पुलिस अधिकारियों द्वारा पार्षद के दबाव में झूठी रिपोर्ट मानव अधिकार में पेश की गई जबकि पुलिस ने मेरा कोई भी बयान दर्ज नहीं किया और झूठी रिपोर्ट बनाकर मानव अधिकार में पेश कर दी गई जिससे वहां से मेरे मामले को खारिज कर दिया गया|
*आखिर क्यों दर्ज नहीं हो रही सरकारी कर्मचारी की एफ आई आर*?
एक बड़ा सवाल यहां पर यह उठता है कि राज्य की बीजेपी सरकार जहा एक तरफ तो दिन के उजाले में सुशासन की बात करती है वही दूसरी तरफ कुशासन को बढ़ावा देती है आप इस बात से अंदाज़ा लगा सकते है कि जब प्रदेश में सरकारी कर्मचारी की ही आवाज़ दबा दी जा रही हो तो आम आदमी की क्या बिसात होगी , आज भी दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर राजकुमार के लिए ना तो शासन खड़ा है न प्रशासन और न ही सूबे के ज़ीरो टॉलरेंट मुख्यमंत्री , थाने चौकी से लेकर एसएसपी ऑफिस हो या फिर मुख्यमंत्री कार्यालय ,सभी के दरवाजे राजकुमार के लिए बंद हो चुके है ।
*एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने किया ट्वीट पर ब्लॉक*
राजकुमार ने बताया की जब मैंने एसएसपी को ट्वीट पर इसकी जानकारी दी तो उन्होंने भी टालमटोल कर सीओ के पास भेज दिया लेकिन वहां भी कोई समाधान नहीं निकला जिसके बाद एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने भी मुझे ट्वीट पर ब्लॉक कर दिया ।
*आखिर कब मिलेगा कर्मचारी को न्याय ? कब होगी दोषियों के खिलाफ कार्यवाही*
देखने वाली बात यह होगी कि आई एम ए के कर्मचारी को कब तक न्याय मिलेगा और कब तक उसकी एफ आई आर दर्ज की जाएगी या फिर ऐसे ही वह दर-दर की ठोकरे खाता रहेगा, खबर के बाद क्या पुलिस मुख्यालय में व त्रिवेंद्र सरकार त्रिवेंद्र सरकार के अधिकारी संज्ञान लेंगे या नहीं यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा ।