नैनीताल:पूरे भारत मे जिस दुर्लभ पौधे की पहचान 1925 में नैनीताल में हुई थी आज वही पटवा पौधा विलुप्त होने को है

पटवा एक ऐसी प्रजाति का पौधा है जो भारतवर्ष में केवल उत्तराखंड के नैनीताल के समीप पटवा डांगर में ही पाया जाता है और इनदिनों विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गया है ।जिस पौधे के नाम पर गांव का नाम पटवा डांगर पड़ा हुआ है वही पटवा डांगर पिछले कई दशकों से विभिन्न शोध कार्यों के लिए भी प्रसिद्ध है लेकिन आज पटवा के गिनती के ही पौधे रह गए हैं ।


सुंदर नारंगी फूल और बड़े-बड़े पत्ते वाला यह पौधा पटवा का पौधा है पटवा का वनस्पति नाम ‘मीजोट्रोपिस पेलीटाय” यानी पटवा है। इस विलुप्तप्राय पौधे की दुनिया में पहचान सर्वप्रथम 1925 में ब्रिटिश वनस्पति वैज्ञानिक ऑसमॉसटोन ने सरोवनगरी के निकट पटवाडांगर में की थी, उनके अनुसार यह पौधा नेपाल के काली कुमाऊं एवं धोती जिले में भी पाये जाते थे, किंतु वर्तमान में यह पौधा उत्तराखंड के पटवाडांगर नाम के स्थान पर ही उपलब्ध है, और इसके यहां भी अब इसके कम पौधे बचे हैं। कुमाऊं विवि के वनस्पति विज्ञान के प्रो. ललित तिवारी ने बताया की इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कुमाऊं विवि के जैव प्रौद्योगिकी विभाग भीमताल भीमताल में उत्तराखंड काउंसिल ऑफ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी से वित्तपोषित परियोजना के द्वारा इसके संर्वधन तथा संरक्षण के लिये ऊतक संर्वधन की एक प्रभावशाली विधि तैयार की जा रही है। पटवा पौधे में बहुत सुंदर नारंगी-लाल रंग के फूल खिलते हैं। इधर नए शोधों के उपरांत इस पौधे में वातावरणीय नाईट्रोजन नियतन एवं ऑक्सीकरणरोधी क्षमतायें भी पायी गयी हैं, तथा आगे भी इस बाबत शोध जारी हैं।