दिल्ली के दहलने में जवाबदेही किसकी? इतना आसान था क्या दिल्ली में हिन्दू मुस्लिम को आपस मे लड़वाना?

पिछले कुछ दिनों में भारत की राजधानी दिल्ली इतनी बुरी तरह दहल गयी कि वहाँ के नजारे सीरिया में हुए युद्ध की तरह दिखाई देने लगे हैं।आज की तारीख में अगर आप दिल्ली और इराक या सीरिया की आपस मे तुलना करना चाहो तो ज़्यादा अंतर दिखाई नही देगा आपको।हालात बद से बदतर होते चले गए महज 2 से 4 दिन के अंदर ही।भारत का दिल दिल्ली तो सहम उठा, इन सबका ज़िम्मेदार कौन है अभी सब जगह इसी मुद्दे पर बहस होती रहेगी,जो लोग दिल्ली के दहलने की कीमत चुका कर दुनिया छोड़ गए उनके परिवारों का क्या होगा,ये मुद्दा अभी शायद कोई नही उठाएगा।दिल्ली में रहने वाला हर दिल्ली वासी पिछले दिनों कब हिन्दू और मुसलमान बन गया पता ही नही चला,आप खुद सोचिए दिल्ली में लोग धर्म मे यूँ बंटकर कब आगजनी दंगो पर उतर आए पुलिस वालों को भी भनक नही लगी ,अगर भनक लगी होती तो क्या मामला इतना बिगड़ता? दिल्ली का आधा हिस्सा तो जलते शोलों की आग में जल कर ख़ाक हो गया ,हैवानियत का ऐसे मंजर शायद ही दिल्ली में पहले देखा गया हो।अब तक दिल्ली में 35 से 40 लाशों के मिलने की खबरें आई जो वाकई चौकाने वाली है ,इनमें से ज़्यादातर गोली लगने से मरे,आखिर इतना बारूद,इतनी गोलियां,आयी कहाँ से ? ये हथियार कौन लाया? आखिर पुलिस और खुफिया एजेंसी क्या कर रहीं थी? दिल्ली के दंगों में सिर्फ हथियारों का ही इस्तेमाल नही हुआ बल्कि पत्थर, लाठी,डंडे,पेट्रोल बम,एसिड ,गुलेल,सब चीज़ों का इस्तेमाल किया गया? क्या ये मात्र नागरिकता संशोधन बिल का विरोध था? कहीं ऐसा तो नही कि नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन और विरोध की आड़ में कोई बड़ा खेल खेला गया हो सीएए के विरोधी और समर्थक केवल मोहरा हो? लेकिन दिल्ली के आग लगाने वाले, चाहे कोई भी हो किसी भी धर्म के हो सबको सजा मिलनी चाहिए,सजा भी इतनी कठोर हो कि अगली बार दंगा सोचने पर भी रूह कांप उठे। 

कुछ लोग दिल्ली में हुए दंगो का जिम्मेदार बीजेपी नेता कपिल मिश्रा को ठहरा रहे हैं जबकि देखा जाए तो कपिल ने तो ऐसा कोई भी भड़काऊ बयान दिया ही नही ,दिल्ली के रास्तो को जाम करके रखने को लेकर कपिल ने कहा था अगर ये रास्ते खाली नही करवाये गए तो हम खुद खाली कराएंगे।अगर ये भड़काऊ भाषण है तो जो लोग देश के टुकड़े करने की बात करते है ,जिन्ना वाली आज़ादी मांगते है हिन्दू मुस्लिम करके भड़काते है वो कौनसे तरीके के भाषण होते होते हैं? अमानतुल्लाह की बातें नहीं होती है क्या भड़काऊ? वो मुस्लिमो को हिंदुओ के खिलाफ भड़का रहे थे  उनका भाषण नासूर बन कर शाहीन बाग में रिसता रहा।

आईबी के जवान अंकित की 400 बार वार करके हत्या कर नाले में फेंक देना क्या ये सिर्फ सीएए के विरोध में प्रदर्शन था? आप पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन के अंडर कंट्रक्शन घर के अंदर बड़ी तादात में पत्थर, पेट्रोल बम, गुलेल,पॉलिथीन में भरे केमिकल बरामद हुए ,कौन लाया इतना सारा बर्बादी का सामान वो भी एक ज़िम्मेदार पार्षद के घर? 

क्या ये सोची समझी साजिश की ओर इशारा नही करती? सवालों पर सवाल खड़े हैं साहब जवाबदेही किसकी है? "आप" जवाब दें, दिल्ली की ख़ुफ़िया एजेंसियां जवाब दें,गृह मंत्रालय जवाब दे।