तख्तो-ओ-ताज पलट दे ऐसे ऐसे नारे

चुनावों का आगाज हुआ नही कि स्पेशल स्लोगन टीम जाग उठी ले नारो पे नारे।कोई बोजेपी को जिताने के लिये टिप टाॅप स्लोगन लिख रहा है तो कोई कांग्रेस को जिताने के लिये।दो ही तो मेन पार्टियां है न पूरे देश मे जो छायी हुई है भले ही इन दोनो पार्टियो के साथ बाद मे कोई और पार्टी गठबंधन क्यो न कर ले पर नारेबाजी का धंधा तो इन्ही पार्टियों से चलना है।
आजकल फेसबुक व्हाट्सप मे जो मैसेज वायरल हो रहै है वो आपको दिखाते है।
अब की बार मोदी सरकार
सुन सुन के पक चुके हैं..!!
तो सुनिए कुछ नया...!!
सुरक्षित काले मेरे बाल,
पागल हो गया केजरीवाल..
बच्चा बोले गोदी से
मुझे फिर से भरोसा मोदी पे।
च्यवनप्राश हो सोना चाँदी,
नही जीतेगा राहुल गाँधी..
मोदी है तो मुमकिन है
उपर छतरी निचे छाया..
भाग congress मोदी आया।
ये तो बीजेपी को जिताने के लिये नये बिल्कुल फ्रैश स्लोगन बनाये है अब कान्ग्रेस के लिये बनाये स्लोगन भी देखिये।
"होगी सच की जीत"
एक एंटी बीजेपी नारा जो आजकल बहुत वाॅयरल हो चुका है कान्ग्रेस पार्टी के साथ साथ बाकी और पार्टी के लोगो से भी सुना जा रहा है
गली गली मे शोर है
चौकीदार ही चोर है
राहुल वही सितारा है
जनता को जो प्यारा है
भय्या इन नारो को सुनकर भले ही आप खूब हंस लो लेकिन इन्ही नारो की वजह से ना जाने कितनी सरकारे बनी भी और गिरी भी।
कुछ और नारे सुनिये।
इंदिरा जी के दौर का प्रचलित नारा फिर से रिमिक्स हो इस बार देखा जा रहा है
ना जात पर ना पात पर
मुहर लगेगी हाथ पर।
आने वाली है 23 मई
मोदी तेरी सरकार तो गई।
हालांकि आचार संहिता लग चुकी है पर आपको तो मालूम ही है नियमों को ताक पर रखे बिना आज तक चुनाव भी कभी किसी ने जीता है क्या।खूब जोर शोर से चल रहे हैं ये नारे ये स्लोगन।
आजादी के बाद से अब तक दर्जनों ऐसे नारे सामने आए, जो न केवल जनता के बीच लोकप्रिय हुए, बल्कि पार्टियों की हार-जीत में भी अहम भूमिका अदा की।कौन से थे वो नारे जिसने देश का तख्ता ही पलट दिया चलिये चलते है इतिहास के पन्नो मे झांक कर आते है
जमीन गई चकबंदी में, मकान गया हदबंदी में, द्वार खड़ी औरत चिल्लाए, मेरा मर्द गया नसबंदी में – आपातकाल और नसबंदी अभियान के खिलाफ ये नारा काफी चर्चित हुआ।
जली झोपड़ी भागे बैल, यह देखो दीपक का खेल
इस दीपक में तेल नहीं, सरकार बनाना खेल नहीं (जनसंघ के ‘जली झोपड़ी भागे बैल यह देखो दीपक का खेल’ नारे के जवाब में कांग्रेस का ये जवाबी नारा था।
नसबंदी के तीन दलाल- इंदिरा, संजय, बंसीलाल (1977 में इंदिरा के खिलाफ नारा)
एक शेरनी सौ लंगूर, चिकमंगलूर-चिकमंगलूर (1978 में कर्नाटक के चिकमंगलूर से इंदिरा गांधी उप चुनाव लड़ रही थीं। उस वक्त दक्षिण भारत के कांग्रेसी नेता देवराज उर्स ने यह नारा दिया था।)
देश की जनता भूखी है यह आजादी झूठी है- आजादी के बाद कम्यूनिस्ट नेताओं द्वारा दिया गया नारा।
7- धन और धरती बंट के रहेगी, भूखी जनता चुप न रहेगी – समाजवादियों और साम्यवादियों की ओर से 1960 के दशक में दिया गया नारा।
8- देखो इंदिरा का ये खेल, खा गई राशन, पी गई तेल – इंदिरा के गरीबी हटाओ नारे का उनके राजनीतिक विरोधियों ने इस नारे से जवाब दिया था।
इंदिरा हटाओ देश बचाओ (1977 में जय प्रकाश नारायण द्वारा दिया गया नारा।)
जब जब चुनावी माहौल आता है नारो और स्लोगन की ऐसी बौछार लग जाती है कि मानो इन्ही के बलबूते सरकार बनेगी और गजब देखिये होता भी यही है जीतने वाला तो जीत जाता है पर लोगों के घरो मे किसी फेमस गाने की तरह ये नारे और स्लोगन बजते ही रहते हैं जुबान से उतरते ही नही।23 मई के बाद ही देखेंगे कौन सा नारा या स्लोगन सफल रहा।