कर लो दर्शन बुलेट बाबा के
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"आस्था कहां मिल्कियत देखती है जहां रहमत दिखाई दे सर वहीं झुक जाया करता है"।
जी हां अब आप इसे अंधविश्वास कहें या आस्था । भारत में एक मंदिर ऐसा भी है जहां न तो देवी है न देवता न ही कोई और भगवान बल्कि इस अनोखे मंदिर में एक मोटर बाइक की पूजा की जाती है। है न ये आश्चर्य की बात?? मामला क्या है आइये बताते हैं आपको ,आप भी जानकर हैरान न हो जाये तो कहना।
जोधपुर का नाम तो सुना ही होगा आपने जी हां जोधपुर से 50 किमी दूरी पर चंडाला गांव के पाली जिले मे राष्ट्रीय राज मार्ग पर बना ओम बन्ना मंदिर बहुत प्रसिद्ध है जहां लोग मोटर बाईक की पूजा बड़ी ही श्रद्धा के साथ करते हैं। आकर्षण का केन्द्र ये मंदिर सभी को अपनी ओर खींच लेता है
क्यों करते हैं लोग बाईक की पूजा आईये ये भी जानते हैं।
हुआ यूं कि 2 दिसम्बर सन्1991 मे ओम सिंह राठौर जो कि एक राजपूत थे पाली से अपने घर बाईक पर लौट रहे थे कि अचानक उनकी बाईक पेड़ से टकराकर गहरी खाई में जा गिरी और ओम सिंह राठौर की घटना स्थल पर ही मौत हो गयी । रोहतगढ़ की पुलिस ने बाईक को अपने कब्जे में ले लिया ।आश्चर्य की बात तो ये हुई कि वो बाईक अगली सुबह गायब थी और ढूंढने पर वो बाईक वहीं घटनास्थल पर मिली। पुलिस ने ये सोचकर की ये किसी की शरारत होगी बाईक को फिर अपनी कस्टडी मे ले ली और बाईक का सारा इधन ही निकाल दिया और मोटी जंजीरो से बांध दिया ।लेकिन ये क्या अगली सुबह फिर बाईक वही घटना स्थल पर मिली ।बड़ी ही विचित्र सी इस घटना ने सभी के मन में बाईक के प्रति एक दैवीय आस्था बना ली और लोगो ने घटनास्थल पर ही बाईक के नाम पर एक मंदिर बना दिया जो आने जाने वाले लोगो के लिये आकर्षण का केन्द्र भी बन गया ।कहते हैं उस रास्ते से जो भी लोग गुजरते हैं बाईक के दर्शन कर प्रार्थना जरूर करते हैं कि उनकी यात्रा मंगलमयी हो और बाईक को लाल धागा बांध कर ही आगे बढ़ते हैं ।जो मंदिर नही जाता उसके साथ कोई न कोई दुर्घटना हो ही जाती है ऐसा वहां के लोगो का मानना है। अब तो वो बाईक बुलेट बाबा के नाम से भी मशहूर हो चुकी है ।
है न अजीब ?
लेकिन भारत मे ऐसे न जाने कितने लोग है जो इन बातो पर यकीन कर मंदिर बना देते हैं भई मानो तो भगवान और न मानो तो पत्थर।