एक अस्पताल में स्वास्थ्य सेवा सुचारू कर नही पाते बात करेंगे सक्षम उत्तराखंड की

वैसे तो साहब उत्तराखंड के सीएम होने के साथ साथ स्वास्थ्य विभाग की डोर भी अपने हाथों में लिए हुए है लेकिन जब सीएम की कुर्सी ही नही सम्भल रही तो स्वास्थ्य विभाग कैसे सम्भालेंगे ?
ये हम नही कह रहे हैं बल्कि जो हाल इन दिनों स्वास्थ्य सेवाओं और अस्पतालों के हो गया है उससे देखते हुए आज उत्तराखंड के जन जन का यही कहना है।
कुमाऊं मंडल के इकलौते बड़े सरकारी अस्पताल सुशीला तिवारी की बदहाली दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है,अब हाल ये है कि अस्पताल में सीटी स्कैन की मशीन भी खराब हो गयी है और प्लाज़्मा मशीन भी बेकार पड़ी हुई है,जिसके चलते मरीजो को अगर इसी बीच सीटी स्कैन करवाना पड़ जाए तो मरीज के साथ साथ तीमारदारों की भी दिक्कत बढ़ जाएगी और अस्पताल के लिए भी परेशानी पैदा हो जाएगी।
दो दिनों से अस्पताल में सीटी स्कैन की मशीन खराब पड़ी है बीते गुरुवार को एक मरीज का सीटी स्कैन होना था लेकिन खराब पड़ी मशीन के चलते स्कैन नही हो सका।वही प्लाज़्मा मशीन भी खराब हो गयी है जबकि प्लाज़्मा थेरेपी को शुरू हुए अभी कुछ ही दिन हुए थे अब मशीन खराब होने की वजह से लोग प्लाज़्मा डोनेट नही कर पा रहे हैं।सुशीला तिवारी अस्पताल में स्क्रब टाइफस की जांच भी बन्द हो गयी है जिसके चलते मरीजो को प्राइवेट में यही जांच 1 हज़ार से 2 हज़ार रुपये में करवानी पड़ रही है।सूत्रों की माने तो स्क्रब टाइफस की करीब सौ से अधिक जांच 2017 से पिछले साल यानी 2019 तक जांचे हुई हैं,2019 के बाद स्क्रब टाइफस की जांच होना ही बन्द हो गया।
स्क्रब टाइफस एक कीड़े के काटने से होता है,जिससे इंसान के शरीर के मुख्य अंगों को नुकसान पहुंचता है तेज़ बुखार,सांस फूलना,दिमाग पर असर होना इसके मुख्य लक्षण है इससे जान भी जा सकती है।
ऐसे ही कुछ हाल हल्द्वानी के बेस अस्पताल का भी है जहां पैथोलॉजी लैब बन्द हो चुकी है,जांच करवाने के लिए मरीजो को बाहर जाना पड़ रहा है।बेस अस्पताल में अल्ट्रासाउंड भी बन्द हो चुका है जिसकी वजह से मरीजो को प्राइवेट लैब में जांचे और अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ रहा है।गौर करने वाली बात ये है कि सरकारी अस्पताल में गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड फ्री में होता है जबकि प्राइवेट अल्ट्रासाउंड करवाने में 800 से 1500 के बीच मे अल्ट्रासाउंड का खर्चा आता है।