उत्तराखंड लौटे प्रवासियों को सीएम ने भेजा पत्र।

आप अपणा घर मा रैकि जो बि काम करण चाणा छन, यांका वास्ता सरकार आपतैं मदद करणौं पूरि तरौं से तैयार छ। मैं उम्मीद करणू छौं आप अपणो काम करि आत्मनिर्भर ह्वेल्या। यां का वास्ता सरकार आपका दगड़ खड़ि च।’ (आप अपने घर में रहकर जो भी काम करना चाहते हैं, उसके लिए सरकार पूरी मदद को तैयार है। मैं उम्मीद करता हूं कि आप अपना काम कर आत्मनिर्भर होंगे। इसके लिए सरकार आपके साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गढ़वाली भाषा में उत्तराखंड लौटे प्रवासियों को पत्र भेजकर यह भरोसा दिलाया है।

लॉकडाउन होने पर उत्तराखंड के 10 पर्वतीय जिलों के गांवों में करीब 60 हजार प्रवासी लौटे हैं। अब उन्हें थामने के मद्देनजर सरकार सक्रिय हुई है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने प्रवासियों के नाम गढ़वाली में पत्र जारी कर कहा कि प्रवासियों ने देश-विदेश में अपनी मेहनत से अलग पहचान बनाई है। अब वे यही कार्य अपने घर गांव में भी कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने पहाड़ काटकर खेत बनाए और इन्हें उपजाऊ बनाकर हमारा पालन-पोषण किया है। आज यही खेती भागम-भाग की जिंदगी के कारण बंजर पड़ी है, जबकि हमारे कृषि उत्पादों की मांग देश-दुनिया में हो रही है। आज जब दुनिया के उद्योगपति भी खेती पर ध्यान दे रहे हैं तो क्यों न हम भी अपनी खेती को जीवनयापन का आधार बनाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार स्वरोजगार को बढ़ावा देने को अनेक सुविधाएं दे रही है। इस कड़ी में उन्होंने होम स्टे, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना समेत अन्य योजनाओं का जिक्र किया। उत्पादों के विपणन की भी व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि मंडुवा के लड्ड, बिस्कुट, केक, झंगोरा की खीर व लड्डू की भी बाजार में बड़ी मांग है। यह तभी पूरी हो सकती है, जब हम अपनी परंपरागत खेती को बढ़ावा देंगे। कहा कि प्रवासी मनचाहा कार्य करने के लिए ब्लाक अथवा जिला मुख्यालयों में स्थापित आजीविका सेल से संपर्क कर जानकारी ले सकते हैं।