उत्तराखंड:नंदा देवी के भाई का वो मंदिर जहाँ स्त्री पुरुष का प्रवेश है वर्जित अंधे होने के डर से पुजारी भी आंखों में पट्टी बांधकर खोलते हैं कपाट।

यूं तो भारत मे ऐसे कई मंदिर है जहाँ स्त्री पुरुष को लेकर भेदभाव चलता है अक्सर ऐसे मंदिर का प्रबंधन विवादों में भी घिरता नज़र आया है जैसे शनि शिंगणापुर, सबरीमाला, त्रयंबकेश्वर, महालक्ष्मी मंदिर इत्यादि लेकिन भारत के उत्तराखंड में एक ऐसा मंदिर भी है जहां अगर स्त्री के प्रवेश करने की मनाही है तो पुरुष भी उस मंदिर में प्रवेश नही कर सकता।जी हाँ इस मंदिर में किसी भी श्रद्धालु के अंदर जाने की अनुमति नही है।
ये मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में देवाल नामक ब्लॉक में वाण नाम की एक जगह पर स्थापित है,इस मंदिर को लाटू मंदिर के नाम से जाना जाता है ये मंदिर पूरे उत्तराखंड में विख्यात है।इस मंदिर के अंदर प्रवेश करने की अनुमति बड़े से बड़े वीआईपी को भी नही है ।
जन श्रुतियो के अनुसार लाटू देवता उत्तराखंड की आराध्य नंदा देवी के धर्म भाई के रूप में पूजे जाते हैं।चमोली जिले के वाण गांव में हर 12 सालो में एक बार होने वाली उत्तराखंड की सबसे लंबी यात्रा श्रीनंदा देवी राजजात यात्रा का बारहवां पड़ाव है ,जहा लाटू देवता वाण से लेकर हेमकुंड साहिब तक अपनी बहन नंदा देवी की अगवानी करते हैं,लाटू मंदिर के द्वार साल में केवल एक बार ही वैशाख माह की पूर्णिमा को खुलते हैं,जैसा कि हमने पहले भी बताया कि इस मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित है इसीलिए केवल पुजारी ही आंख मुँह पर पट्टी बांधकर मंदिर के कपाट खोलता है।कपाट खुलने के शुभ अवसर पर मेले का आयोजन भी किया जाता है।
एक मान्यता ये भी है कि इस मंदिर में लाटू महाराज के साथ साथ साक्षात रूप में नागराज अपनी अद्भुत मणि के साथ वास करते है जिसे देखना आम लोगो के बस की बात नही है,मणि के तेज चकाचौंध रौशनी इंसान को अंधा तक कर देती है,मणि की गंध भी विषैली होती है,इसीलिए खुद पुजारी भी आंखों और मुँह में पट्टी बांधकर कपाट खोलते हैं।