इंदिरा गांधी ने किसके पैर धो कर पिये थे?
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इंदिरा ऑक्सफोर्ड से सन 1941 में भारत वापस लौट आयीं थी आने के बाद वो भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल हो गयीं, स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान उन्हें सितम्बर 1942 में गिरफ्तार कर लिया गया जिसके बाद सरकार ने उन्हें मई 1943 में रिहा किया गया था।इंदिरा गांधी जब 12 वर्ष की थीं, तो उन्होंने कुछ बच्चों के साथ वानर सेना बनाई और उसका नेतृत्व किया,इसका नाम बंदर ब्रिगेड रखा गया था जो कि बंदर सेना से प्रेरित था, जिसने महाकाव्य रामायण में भगवान राम की सहायता की थी। इंदिरा गांधी के बारे कुछ ऐसी ही और बाते भी है जो बहुत कम लोग ही जानते हैं।जैसे जब भारत में विदेशी वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाया जा रहा था विदेशी सामान को आग लगाई जा रही थी तब इंदिरा गांधी ने भी अपनी गुड़िया को आग में झोंक दिया था क्योकि वो गुड़िया इंग्लैंड में बनी थी।इंदिरा गांधी अपने जीवन में कभी बहुत ज्यादा धार्मिक तो नही रही लेकिन 1977 का चुनाव हारने के बाद इंदिरा गाँधी बहुत धार्मिक हो गई थीं ।
आज की अगर बात करें तो प्रधानमंत्री पद पर बने होकर किसी के पैर छूने मात्र से ही राजनितिक मुद्दा बना दिया जा रहा है ताजा मामला कुंभ का है जहां नरेन्द्र मोदी ने कुम्भ जाने वालो के पैर छूये तो विपक्ष का माहौल ही गरमा गया सोशल साईट्स पर कहीं मोदी की तारीफ हो रही है तो कही उनकी निन्दा ये भी राजनीति ही है ।खैर हम बात कर रहे है इंदिरा गांधी के धार्मिक पहलू की जो कि इतिहास के पन्नो में बहुत कम ही आपको मिल पायेगा वरिष्ठ पत्रकार कुमकुम चड्डा ने अपनी किताब में खुलासा किया है कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलापति त्रिपाठी के कहने पर विदेश में पढ़ने वालीं इंदिरा गाँधी ने नौ बालिकाओं के पैर धो कर उसका पानी पिया था।
कुमकुम चड्ढा बताती हैं, "कमलापति त्रिपाठी के साथ इंदिरा गाँधी के संबंधों में राजनीतिक रूप से बहुत उतार-चढ़ाव आए, लेकिन निजी तौर पर वो कमलापतिजी की बहुत इज्ज़त करती थी और उन्हें पंडितजी कह कर पुकारती थीं. 1977 की हार के बाद धार्मिक कार्यों में उनका विश्वास बढ़ गया था और इस मामले में उनके सबसे बड़े सलाहकार थे कमलापति त्रिपाठी."आगे वो लिखती हैं कि देश जब आपात काल के दौर से गुजर रहा था तब "एक बार कमला त्रिपाठी जी के कहने पर जब उन्होंने उनसे कुछ बालिकाओं के पैर धो कर पीने के लिए कहा, तो इंदिरा बोलीं, अगर मैं बीमार पड़ गई तो?
लेकिन कमलापति त्रिपाठी के ज़ोर देने पर उन्होंने उन बालिकाओं के पैर धो कर उसका पानी पिया था। इस बात में कितनी सच्चाई है और ये किस्सा कुमकुम चड्डा को कहां से पता चला ये तो वही जाने लेकिन भय्या राजनीति एक एसा चस्का है जो कुछ भी करवा दे।