आपदा के चलते शव के अंतिम संस्कार के लिए सेना की लेनी पड़ी मदद।

उत्तराखण्ड में भारी बारिश का दौर अभी जारी है,पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश आफत बनकर बरस रही है,पिथौरागढ़ जिले के दूरस्थ क्षेत्र नाचनी व आस-पास के क्षेत्रों में आई आपदा के बाद क्षेत्र के सम्पर्क मार्ग अभी खुल भी नहीं पाए थे कि दो दिन पूर्व हुई भारी बारिश के बाद नाचनी के राया बजेता में पैदल मार्ग भी ध्वस्त हो गए हैं,जिससे ग्रामीणों का कहीं भी जाना दूभर हो गया है।बारिश के बाद हालात इतने खराब हैं कि क्षेत्र के राया गांव से बांसबगड़ श्मशान घाट तक जाने वाला पैदल मार्ग ध्वस्त होने के कारण तीन दिन पूर्व गांव में हुई महिला की मृत्यु के बाद दो दिन तक उसका अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका।राया गांव निवासी कौशल्या देवी का दो दिन पूर्व निधन हो गया था।गांव को जोड़ने वाले सभी मार्ग ध्वस्त हैं।जिनमें अकेले चल पाना संभव नहीं है ऐसे में दस किमी दूर श्मशान घाट तक अर्थी ले जा पाना असंभव था।जिसके चलते दो दिन से महिला की अर्थी नहीं उठ पाई।राया गांव इस पहाड़ी का सबसे ऊंचाई पर बसा गांव हैं।श्मशान घाट गांव से दस किमी दूर है।जहां तक पहुंचने वाले मार्ग का तो नामोनिशान नहीं है।ग्रामीणों की मांग पर स्थानीय प्रशासन ने आईटीबीपी और लोक निर्माण विभाग को गांव को जाने वाले पैदल मार्ग को ठीक करने के साथ ही वृद्धा के शव को शमशान घाट तक पहुंचाने के र्निदेश दिये थे।जिस पर शनिवार को आईटीबीपी और लोक निर्माण विभाग और ग्रामीणों ने गांव से शमसान घाट को जाने वाले मार्ग को दुरस्त करने का कार्य किया।तब जाकर आज सुबह 10 बजे आईटीबीपी के जवानों ने ग्रामीण महिला के शव को मुश्किल से शमसान घाट पहुंचाया।जहां पर महिला की अंतेष्ठि की गयी।सामाजिक कार्यकर्ता सुन्दर बथियाल ने बताया कि अभी आपदा प्रभावित गांवों में जाने के लिए पैदल रास्ते नही हैं,ना ही गांवों में बिजली और पानी की आपूर्ति पूरी तरह से बहाल हो पाई है।6 सितम्बर की रात्रि में नाचनी क्षेत्र में बादल फटने से एक महिला की मौत होने के साथ ही कई घरों को नकुसान पहुंचा था।