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उत्तराखण्डः अवैध खड़िया खनन पर हाईकोर्ट सख्त! जीपीएस नियमों के उल्लंघन पर सात दिन में व्यवस्था लागू करने के आदेश

Uttarakhand: High Court cracks down on illegal chalk mining! Orders enforcement of GPS rules within seven days

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बागेश्वर जिले के कांडा तहसील सहित  अन्य गांवों में अवैध खड़िया खनन से आई दरारों के मामले में स्वतः संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका के अलावा 165 खनन इकाईयों से सम्बन्धित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ती सुभाष उपाध्याय की खण्डपीठ ने अगली सुनवाई कल भी जारी रखी है। आज हुई सुनवाई पर कोर्ट ने कहा है कि उत्तराखंड खडिया खनन में जो प्रावधान है कि खनन कार्यों में लगे वाहनों पर जीपीएस सिस्टम लगा होना चाहिए और उसका जीपीएस सिस्टम रमन्ना पोर्टल के साथ जुदा होना चाहिए, ताकि उस वाहन का पूरा डेटा रमन्ना पोर्टल से मिल सके। लेकिन जो रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई थी उसमें इन नियमों का पालन नही किया गया था। जिसपर कोर्ट ने निदेशक खनन से कहा है कि इस नियमावली को सात दिन के भीतर लागू करें। यही नहीं पूर्व में कोर्ट ने निदेशक खनन से यह भी बताने को कहा था कि खनन से सम्बंधित रिपोर्ट जो पेश की गई है वह खुदानो में जमा खडि़या की है या पर्यावरणीय सर्वे रिपोर्ट। जिसपर निदेशक की तरफ से बताया गया कि यह खुदानो में जमा खडिया की रिपोर्ट है न की पर्यावरणीय सर्वे रिपोर्ट। यह रिपोर्ट उन्हें विभाग के कुछ कर्मचारियों के मोबाईल से प्राप्त हुई है। जिसपर कोर्ट ने कहा है कि वे कर्मचारी उस मोबाईल के साथ कोर्ट में पेश हों , जिनके मोबाईल से ये रिपोर्ट प्राप्त हुई है। बता दें कि पूर्व में कांडा तहसील के ग्रामीणों ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर कहा था कि अवैध खड़िया खनन से उनकी खेतीबाड़ी, घर, पानी की लाइनें चौबट हो चुकी हैं। जो धन से सपन्न थे उन्होंने अपना आशियाना हल्द्वानी व अन्य जगह पर बना दिया  है। उनके जो आय के साधन थे उनपर अब खड़िया खनन के लोगों की नजर टिकी हुई है। इस सम्बंध में कई बार उच्च अधिकारियों को प्रत्यावेदन भी दिए, लेकिन उनकी समस्या का कुछ हल नही निकला। इसलिए अब हम न्यायलय की शरण में आये हैं। उनकी समस्या का समाधान किया जाए।