उत्तराखंड: गंगोत्री से नेपाल पशुपतिनाथ के लिए गंगा कलश यात्रा रवाना
उत्तरकाशी। गंगोत्री धाम से पशुपतिनाथ तक चलने वाली गंगा कलश यात्रा का उत्तरकाशी पहुंची। यहां तिलोथ में मांडो गांव के कंडार देवता के साथ ही आम श्रद्धालुओं ने कलश यात्रा का स्वागत किया। इसके साथ ही कंडार देवता की डोली ने कलश यात्रा का शुभारंभ करते हुए वहां से रवाना किया। इसके साथ ही कलश यात्रा काशी विश्वनाथ मंदिर में पहुंची। इस दौरान श्रद्धालुओं ने मां गंगा से विश्व कल्याण और सुख समृद्धि की प्रार्थना करते हुए हर हर गंगे, जय मां गंगे के जयकारे लगाए। पूरे साल इसी जल से नेपाल में भगवान पशुपतिनाथ का विशेष जलाभिषेक किया जाएगा। यह कलश आगामी तीन नवंबर को शिव त्रयोदशी पर भगवान शिव को भेंट किया जाएगा।
गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद नेपाल के पशुपतिनाथ तक जाने वाली श्रीगंगा कलश यात्रा काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंची। इस दौरान श्रद्धालुओं ने कलश यात्रा का पुष्प वार्ष के साथ स्वागत किया। इसके साथ ही गंगोत्री धाम के मुख्य रावल शिव प्रकाश महाराज से भी सभी श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद लिया। गंगोत्री धाम के रावल शिव प्रकाश महाराज ने बताया गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद हर साल गंगा जल से भरा कलश उत्तरकाशी, टिहरी, हरिद्धार के रास्ते नेपाल पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचाया जाता है। पूरे साल इसी जल से पशुपतिनाथ का विशेष जलाभिषेक किया जाता है। उन्होंने बताया जब मां गंगा के कपाट बंद होते हैं, जब लक्ष्मी की पूजा होती है तो उस समय यह कलश मंदिर में रहता है। देर रात को यह श्रीगंगा कलश यात्रा उत्तरकाशी पहुंची है। हर साल यहां जल पशुपतिनाथ तक जाता है. उन्होंने कहा यह हम सब लोगों का सौभाग्य है कि यह जल नेपाल में पशुपतिनाथ में चढ़ाया जा रहा। उन्होंने बताया पूर्व काल से ही सनातन धर्म में यह वैदिक परंपरा चली आ रही है। श्रद्धालु गंगा जल से भरे कलश के आगे माथा झुका कर मां गंगा से मन्नत पूरी करने के लिए प्रार्थना करते हैं। उन्होंने बताया विश्व कल्याण सुख समृद्धि के लिए इस कलश यात्रा का अपना एक अलग महत्व है। नेपाल और भारत की अखंडता को बरकरार रखने का भी यह एक संदेश देता है।