उत्तराखण्डः खुरपिया फार्म में केसर इंटरप्राइजेज बहेड़ी की जमीन पर कब्जे का मामला! जिला और पुलिस प्रशासन पर उठे सवाल, हर एक्शन में झोल

Uttarakhand: Case of occupation of Kesar Enterprises Bahedi's land in Khurpia Farm! Questions raised on district and police administration, in every action

रुद्रपुर। यूं तो तराई में जमीनों पर कब्जे की खबरें समय-समय पर सामने आती हैं, लेकिन किच्छा के खुरपिया फार्म स्थित केसर इंटरप्राइजेज बहेड़ी की बेशकीमती जमीन पर कब्जे के मामले ने जिला व पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। मामला सीएम दरबार पहुंचने के साथ ही खासा सुर्खियों में है। बताया जा रहा है कि कंपनी के मुख्य संचालन अधिकारी ने मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र भेजकर मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। मुख्यमंत्री को भेजे शिकायती पत्र में कंपनी के मुख्य संचालन अधिकारी शरत मिश्रा का कहना है कि वर्ष 1934 में ग्राम खुरपिया में केसर शुगर वर्क्स (वर्तमान केसर इंटरप्राइजेज) को तत्कालीन सरकार ने जमीन आवंटित की थी। उस समय कंपनी के निदेशक छोटेलाल थे और 1956 में उनके निधन के बाद बेटे जीवन लाल निदेशक बने थे। जीवन ने अपना नाम बतौर प्रतिनिधि केसर शुगर वर्क्स के फार्म की भूमि दर्ज करने के लिए दिया था। इसे खाम ऑफिसर ने स्वीकार करते हुए जीवन लाल का नाम बतौर प्रतिनिधि, केसर शुगर वर्क्स दर्ज कर लिया था। 

खबरों के अनुसार 1974 में अधिकतम जोत सीमा आरोहण अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई चली और संपूर्ण भूमि को केसर शुगर वर्क्स का मानते हुए नोटिस जारी किया गया। यह सीलिंग बाद नियत प्राधिकारी जिला न्यायालय, हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट से 2012 में समाप्त हुआ। उस समय नियत प्राधिकारी अपर जिला अधिकारी ऊधमसिंह नगर ने सीलिंग वाद सरकार बनाम केसर शुगर वर्क्स ने 21 जुलाई 1914 को 16.4690 हेक्टेयर भूमि के शुगर बस को दी तथा 612.540 हेक्टेयर भूमि अतिरिक्त घोषित उत्तराखंड सरकार में निहित कर दी। उक्त भूमि का जीवन लाल तथा उनके वारिसान का निजी तौर पर कोई हक नहीं था।

फैक्ट्री के मुख्य संचालन अधिकारी शरत मिश्रा के अनुसार पन्ना विनय शाह पत्नी स्वर्गीय दिनेश शाह ने अपने आपको जीवन लाल का वारिस बताकर बिना कोई नोटिस केसर इंटरप्राइजेज को दिए तहसीलदार किच्छा से अनाधिकृत रूप से एक आदेश 6 फरवरी 2020 को पारित करा लिया और अपना नाम 6 फरवरी 2023 को राजस्व अभिलेखों एवं खतौनी में दर्ज करा लिया। केसर इंटरप्राइजेज को न तो कोई सम्मन अथवा सुनवाई का अवसर ही दिया गया। इसके बाद पन्ना विनय शाह ने तीन मार्च 2023 को एक निषेधाज्ञा सिविल जज जूनियर डिविजन, रुद्रपुर के न्यायालय से प्राप्त कर ली और उसके आधार पर ही 25 मार्च को पुलिस बल के साथ उक्त भूमि पर जबरन कब्जा कर लिया।

आरोप है कि विरोध करने पर वहां रहने वाले कंपनी के कर्मचारियों को पुलिस द्वारा डराया धमकाया गया। बीती 26 मार्च को पुलिस द्वारा कंपनी के आवासों गोदाम एवं अन्य भवनों के ताले तोड़कर कब्जा भी करा दिया गया जबकि कंपनी द्वारा दायर अपील जिला जज रुद्रपुर के समक्ष लंबित है और 5 अप्रैल की तिथि नियत है।

इधर शरत मिश्रा का कहना है कि उन्होंने 13 मार्च को भूमि पर कब्जे की आशंका जताते हुए डीएम, एसएसपी एसडीएम किच्छा, तहसीलदार सभी को सूचना दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं शरत मिश्रा का कहना है कि हल्द्वानी और रुद्रपुर में कारोबार करने वाले एक उद्योगपति की नजर उक्त जमीन पर पड़ी है, हांलाकि हम इसकी पुष्टि नहीं करते। 

अब यहां बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर जमीन कैसे पन्ना विनय शाह के नाम पर दर्ज कराई गई, क्योंकि कहानी तो कुछ और ही कहती है। यहां यह सवाल भी उठना लाजमी है कि बिना नोटिस दिए कैसे उक्त जमीन पर कब्जा कर लिया गया।