उत्तराखण्डः भालू का आतंक, दहशत में ग्रामीण! सिस्टम लाचार, सरकार मौन! जनप्रतिनिधि भी चैन की नींद सोये
रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग जिले के रानीगढ़ पट्टी में भालू का आतंक बना हुआ है। अब तक क्षेत्र में कई घटनाएं हो गई हैं, बाजवूद इसके कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। सोमवार को कोट-मल्ला में पानी खोलने के बाद वापस घर को लौट रहे ग्रामीण भरत सिंह चौधरी पर भालू ने जानलेवा हमला कर दिया। भालू से जान बचाने को लेकर वे पेड़ पर चढ़ गए, जिसके बाद जब भालू भी पेड़ में चढ़ने लगा तो भरत ने उस पर लात मारी। लात मारने पर भालू ने उसके पैरों को नुकसान पहुंचा दिया और गंभीर रूप से घायल कर दिया। इसके बाद वे चिल्लाने लगे तो आस-पास के लोगों ने आकर जान बचाई और अस्पताल पहुंचाया। उन्होंने बताया कि वर्ष 1991 में दो महिलाओं को गुलदार से बचाने पर राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया है। क्षेत्र में भालू का आतंक बना हुआ है, जिस कारण ग्रामीण भयभीत हैं और वन विभाग की टीम गांव में पहुंचकर गश्त दे रही है। ग्रामीण भरत सिंह चौधरी ने बताया कि ग्रामीण इलाकों के नजदीक भालू के आने से गांव के लोगों में दहशत बनी है।
रुद्रप्रयाग जिले में 10 के करीब भालू सक्रिय
वन विभाग ग्रामीण इलाकों में भालू के आतंक से ग्रामीणों को बचाने के हरसंभव प्रयास कर रहा है। रुद्रप्रयाग जिले के रानीगढ़ पट्टी का भुनका, कोट-मल्ला सहित अन्य क्षेत्र भी संवेदनशाल हैं, जहां भालू की लगातार दहशत देखने को मिल रही है। प्रभागीय वनाधिकारी रजत सुमन ने फोन पर बताया कि भालू के आतंक से निजात दिलाने को लेकर क्षेत्र में जगरूकता शिविर लगाए जा रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में सुबह और शाम के समय बाहर निकलना ठीक नहीं है। बताया कि भालू अपनी लोकेशन भी चेंज कर रहा है। नई जगहों पर जाकर भालू हमले कर रहा है। इसके मुंह में बदलाव आ रहा है। खानपान भी बदल रहा है। इस बार बारिश भी लम्बे देर तक हुई तो मौसम में ठंडक भी देर से आई है। मौसम में आये परिवर्तन के जंगली जानवरों में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। जिले में करीब 7 से 8 अति संवेदनशील क्षेत्र हैं, जिनमें 9 से 10 भालू सक्रिय होकर मानवों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।