हद हैः ये हैं उत्तराखण्ड के हालात! महिला पुलिसकर्मी ने सीनियर पर लगाया रेप का आरोप, सवाल- बेटियों को कैसे मिलेगा न्याय? जब पुलिस विभाग में ही महिलाओं पर हो रहा हो अन्याय

This is the limit: this is the situation in Uttarakhand! Female policeman accuses senior of rape, question- how will daughters get justice? When injustice is being done to women in the police departm

नैनीताल। उत्तराखंड में लगातार यौन उत्पीड़न के मामले सामने आते जा रहे है ऐसे में पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी अहम हो जाती है क्योंकि पीड़िता और उसके परिजनों को आस होती है कि पुलिस निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगी और किए गए अपराध के लिए कोर्ट से सजा दिलवायेगी। लेकिन उत्तराखण्ड में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। उत्तराखण्ड पुलिस विभाग में तैनात एक महिला पुलिसकर्मी ने अपने सीनियर अधिकारी पर यौन शोषण का आरोप लगाया है। हैरानी की बात ये है कि जब महिला पुलिसकर्मी ने इसकी शिकायत की तो पुलिस महकमे ने जांच कराने की जगह उल्टा पीड़िता का ही ट्रांसफर कर दिया।
 
महिलाकर्मी  के मुताबिक वह साल 2015 में सहायक लिपिक के पद पर जिला पिथौरागढ़ के पुलिस कार्यालय में पोस्टेड थी, जहां प्रधान लिपिक बड़े बाबू नंदन सिंह राठौर ने पहले ऑफिस वर्क के लिए उसे परेशान करना शुरू किया और उसके बाद परेशानी खत्म करने का बहाना कर महिलाकर्मी को शहर से दूर नैनीपातल के पास एक वीरान जगह लछेर ले कर गया, जहां उसने महिला पुलिसकर्मी को नशीला पेय पदार्थ पिलाया और नशा होने पर हाथ पैर बांधकर रेप किया। वापस लौटने पर महिला ने पुलिस अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने शिकायत दर्ज करने की बजाय विभाग का मामला कहकर महिला को ही चुप करवा दिया। जिसके बाद बड़े बाबू नंदन सिंह राठौर के हौंसले बुलंद हो गए और तब से लगातार यौन उत्पीड़न का सिलसिला शुरू हो गया। 

आठ सालों बाद जब बड़े बाबू की ब्लैकमेलिंग नहीं रुकी तो महिला पुलिसकर्मी ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह से प्रधान लिपिक नंदन सिंह राठौर के खिलाफ 03 जुलाई 2023 को शिकायत की। लेकिन महिला कि शिकायत दर्ज करवाने की जगह एसपी लोकेश्वर सिंह ने इन्टर्नल जांच करवाकर मामला रफा-दफा कर दिया और महिला पुलिसकर्मी का ट्रांसफर नैनीताल करवा दिया। न्याय पाने के लिए महिला पुलिसकर्मी ने तत्कालीन डीजीपी अशोक कुमार से भी न्याय की गुहार लगाई,  लेकिन डीजीपी स्तर पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। जिससे त्रस्त होकर महिला ने राज्य महिला आयोग में शिकायत की और राज्य महिला आयोग के निर्देश पर एसपी पिथौरागढ़ लोकेश्वर सिंह ने जांच कमेटी बनाई, जिसमें महिला आयोग के सदस्य को लेने की जगह पुलिस विभाग के ही अपने कर्मचारियों और कृषि विभाग की अधिकारी पूजा पुनेड़ा को बतौर अध्यक्ष बनाकर जांच पूरी करवा दी गई।

एकतरफा जांच करवाने को लेकर महिला ने राज्य महिला आयोग में आपत्ति दर्ज करवाई, जिसके बाद डीएम पिथौरागढ़ रीना जोशी ने एक जांच कमेटी गठित की, जिसने माना कि प्रधान लिपिक ने अपने पद का दुरुपयोग कर अपने अधीनस्थ महिला कर्मी के साथ संबंध बनाए। जांच कमेटी ने आगे कहा कि प्रधान लिपिक नंदन सिंह राठौर की रिकॉर्डिंग से साबित होता है कि लछेर की घटना हुई है जो कि अति आपत्तिजनक है।
 
इस मामले में जब मीडिया ने प्रधान लिपिक नंदन सिंह राठौर से बात की तो उन्होंने कहा कि उनके महिला के साथ किसी भी तरह के कोई संबंध नहीं रहे है और जब संबंध ही नहीं रहे है तो यौन शोषण कैसे हो सकता है? जब उनसे पूछा गया कि जांच कमेटी को मिले साक्ष्य और कॉल रिकार्डिंग से साबित होता है कि दोनों के बीच शारीरिक संबंध काफी सालों तक रहे हैं तो इस पर बड़े बाबू नंदन सिंह राठौर चुप्पी साध गए। 

बता दें जिले के पुलिस कार्यालय का बड़े बाबू का पद काफी प्रभावशाली माना गया है कार्यालय में पुलिसकर्मियों के वेतन ट्रांसफर आदि से संबंधित लिखित कार्य बड़े बाबू के ही दिशा निर्देशन में होते हैं। वहीं इस मामले में जब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से बात हुई तो उन्होंने डीजीपी से आग्रह करते हुए कहा कि उत्तराखंड की बिटिया को न्याय मिलना चाहिए और साथ ही कहा कि भाजपा शासन में महिलाओं पर उत्पीड़न चरम पर है। 

हैरानी की बात ये भी है कि महिला पुलिसकर्मी के साथ वर्षों तक हुए यौन उत्पीड़न और एक महिला होने की बेबसी पुलिस के आला अधिकारियों को जांच होने के बाद भी नहीं दिखाई दे रही है। जबकि महिला उत्पीड़न में सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश है कि किसी भी हाल में एफआईआर जरूर लिखी जानी चाहिए। बावजूद इसके उत्तराखंड पुलिस ने आज तक एफआईआर भी दर्ज नहीं की जबकि मामला पुलिस विभाग का ही है। 

बहरहाल अभी तक महिला की एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई है। वहीं नैनीताल ट्रांसफर होने के बाद पुलिस विभाग ने बड़े बाबू नंदन सिंह राठौर का ट्रांसफर नैनीताल कर दिया है। जिस पर महिलाकर्मी ने एसएसपी नैनीताल प्रहलाद सिंह मीणा से गुहार लगाई कि बड़े बाबू का ट्रांसफर नैनीताल न किया जाए, जिस पर एसएसपी ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि बड़े बाबू नंदन सिंह राठौर का ट्रांसफर डीआईजी कार्यालय में हुआ है, जबकि महिलाकर्मी का ट्रांसफर एसएसपी कार्यालय में। साथ ही एसएसपी ने पीड़ित महिला पुलिसकर्मी को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। बता दें कि नैनीताल एसएसपी कार्यालय और डीआईजी कार्यालय की दूरी महज 3 किलोमीटर है। अब देखना ये खास होगा कि आठ साल बाद क्या पुलिस विभाग अपनी महिला कर्मचारी पर हुए यौन शोषण मामले में निष्पक्ष तरीके से जांच कर कार्यवाही कर पाता है या नहीं। अब यहां सवाल ये उठता है कि जब पुलिस विभाग में महिला पुलिसकर्मियों के साथ अन्याय हो रहा हो, तो आम लोगों को कैसे न्याय मिलेगा।