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शिक्षा विभाग की मेहरबानीः सालभर नहीं किया कोई काम! फिर भी चमत्कारी ‘मैडम’ का हर गुनाह होगा माफ़, मिलेगा मुफ्त वेतन और मनचाही पोस्टिंग

 The Education Department's favor: She hasn't done any work for a year! Yet, the miraculous "Madam" will have all her sins forgiven, receive a free salary and the desired posting.

हल्द्वानी। एक साल पहले हल्द्वानी जीजीआईसी की मैडम पर गंभीर आरोपों की जांच के चलते शिक्षा विभाग ने मैडम का ट्रांसफर हल्द्वानी से बागेश्वर कर दिया था, लेकिन मैडम ने ट्रांसफर को रुकवाने के लिए विकलांगता का फ़र्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाया और हाईकोर्ट में आदेश को चैलेंज कर दिया। फर्जीवाड़े का भांडा फूट जाने पर मैडम ने हाईकोर्ट के डर से केस तो वापस ले लिया, लेकिन बागेश्वर के जीजीआईसी दोफाड़ में जॉइन नहीं किया। एक साल तक स्कूल जॉइन न करने के बावजूद अब शिक्षा विभाग के कई अधिकारी मैडम के चाहने वाले बनकर ट्रांसफर आदेश को बदलने पर आतुर हैं, ताकि एक भ्रष्ट मैडम को एक साल का बिना काम किए वेतन और मनचाही पोस्टिंग दी जा सके।  

मामले के अनुसार जीजीआईसी हल्द्वानी की शिक्षिका वंदना चौधरी पर ड्यूटी के दौरान अन्य शिक्षिकाओं से लड़ाई झगड़ा करने, बैक डेट पर जाकर एटटेनडेन्स रजिस्टर में साइन करने और कर्मचारी आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप लगे थे, जिस पर शिक्षा विभाग ने जांच बैठा दी और कई महीनों की जांच के बाद शिक्षा विभाग ने वंदना चौधरी को दोषी पाते हुए 05 सितंबर 2024 को उनका ट्रांसफर हल्द्वानी जीजीआईसी से बागेश्वर के जीजीआईसी दोफाड़ में कर दिया। 

6 सितंबर 2024 को जीजीआईसी हल्द्वानी से रिलीव हुई वंदना चौधरी ट्रांसफर रुकवाने के लिए ठीक एक दिन बाद 7 सितंबर 2024 को अल्मोड़ा जिला चिकित्सालय से 42 प्रतिशत का डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट बनवा लाती है और हाईकोर्ट में पिटीशन डाल देती है। हालांकि हाईकोर्ट से वंदना चौधरी को स्टे नहीं मिलता है। आरटीआई में अल्मोड़ा डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल से पीएमएस डॉ. एचसी गड़कोटी और डॉ. प्रमोद मेहता से बनवाया गया मैडम वंदना चौधरी का 42 प्रतिशत डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट फर्जी साबित होता है और मामला प्रकाश में आने के बाद हाईकोर्ट के डर से वंदना चौधरी 18 मार्च 2025 को स्टे के लिए दी गई पिटीशन वापस ले लेती है।

फर्जीवाड़े का पर्दाफाश होने के बावजूद मैडम वंदना चौधरी बागेश्वर में जॉइन नहीं करती है और ट्रांसफर आदेश को बदलवाने के लिए शिक्षा मंत्री से लेकर महानिदेशक के चक्कर लगाने लगती है। उत्तराखंड सरकार की 2020 में जारी अधिसूचना के अनुसार सरकारी सेवक अगर एक वर्ष से अधिक अनुपस्थित रहता है तो सेवा से उसका त्यागपत्र स्वतः ही मान लिया जाएगा। शिक्षिका वंदना चौधरी, जिसका ट्रांसफर 05 सितंबर 2024 को हुआ और 06 सितंबर 2024 को उसे रिलीव भी कर दिया गया। शिक्षिका वंदना चौधरी ने एक साल से भी अधिक समय गुजर जाने के बाद भी बागेश्वर दोफाड़ के स्कूल का मुंह तक नहीं देखा, लेकिन महानिदेशक आईएएस दीप्ति सिंह शिक्षिका वंदना चौधरी पर इतनी मेहरबान है कि नियमों के विरुद्ध जाकर एक साल पहले हुए प्रशासनिक ट्रांसफर में फेरबदल करने के आदेश जारी कर दिये हैं, ताकि वंदना चौधरी को एक साल का मुफ्त वेतन और मनचाही पोस्टिंग दी जा सके।

इस मामले में कई दिनों तक शिक्षा विभाग की महानिदेशक दीप्ति सिंह को कभी फोन पर तो कभी कार्यालय में संपर्क किया गया, लेकिन अफसरशाही का ठाठ देखिये न तो दीप्ति सिंह ऑफिस में मिलती हैं और न ही फोन उठाती हैं। दूसरी तरफ अपर निदेशक पदमेन्द्र सिंह ने दूरभाष पर जानकारी देते हुए बताया कि महानिदेशक दीप्ति सिंह ने वंदना चौधरी के ट्रांसफर को बदलवाने को लेकर आदेश जारी किया है। इसका सीधा मतलब है कि शिक्षा विभाग में अफसरशाही सरकार की अधिसूचना के खिलाफ कार्य कर रही है। उत्तराखंड में अफसरशाही इस कदर बेलगाम है कि वो ऐसे शिक्षकों को घर बैठे वेतन देना चाहते हैं जिन्होंने पूरे साल बच्चों को पढ़ाने के बजाय पिकनिक मनाई है।  
 
उत्तराखंड की गरीब जनता के खून पसीने के टैक्स से लाखों की पगार लेने वाली वंदना चौधरी जैसी शिक्षिकाएं भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पार कर रही हैं और विभाग के आला अधिकारी मुफ्त का वेतन और मनचाही पोस्टिंग देने के जुगाड़ में लगे हुए हैं, जिससे साबित होता है कि शिक्षा विभाग में अफसरशाही उत्तराखंड के बच्चों को शिक्षित करने के लिए समर्पित नहीं, बल्कि भ्रष्ट शिक्षकों की सुरक्षा के लिए वचनबद्द है।