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गजब हालः गुरूजी तो गुरूजी, विभागीय अधिकारी भी इंग्लिश लिखने में निकले कमजोर! सोशल मीडिया पर छाया हिमाचल के सिरमौर का मामला, जानें क्या है ‘चेक’ और ‘निलंबन आदेश’ की कहानी

Strange situation: Teachers are not teachers, even departmental officials are weak in English! The case from Sirmaur, Himachal Pradesh, has become viral on social media. Learn the story behind the 'c

नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सोशल मीडिया पर खासी हलचल मचाई हुई है। दरअसल सिरमौर जिला मुख्यालय से करीब 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में एक ड्राइंग अध्यापक द्वारा एक चेक जारी किया गया था। इस चेक में जो भुगतान लिखा था, उसमें कई त्रुटियां पाई गईं। मामला संज्ञान में आने के बाद शिक्षा विभाग ने सख्त एक्शन लेते हुए अध्यापक को निलंबित कर दिया। लेकिन हैरानी की बात ये है कि निलंबन आदेश में खासी त्रुटियां पाई गईं, जिसके बाद लोग शिक्षा विभाग पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

बता दें कि 25 सितंबर को शिक्षक ने 7,616 रुपये का अंग्रेजी में एक चेक जारी किया, इस दौरान उन्होंने 7,616 को शब्दों में लिखा, “Saven Thursday Six Harendra Sixty”। जिसके बाद यह चेक सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और राज्य शिक्षा विभाग के लिए शर्मिंदगी का कारण बन गई। शिक्षक को 4 अक्टूबर 2025 को सस्पेंशन लेटर सौंपा गया। आदेश में कहा गया कि निलंबन अवधि के दौरान उनका मुख्यालय सरकारी माध्यमिक विद्यालय, हरिपुरधार (सिरमौर) रहेगा। मामले में उच्चाधिकारियों ने बताया कि आमतौर पर स्पेलिंग मिस्टेक पर चेतावनी दी जाती है, लेकिन इस मामले में शब्दों का ही रूप बदल गया था। ‘Thousand’ को ‘Thursday’ और ‘Hundred’ को ‘Harendra’  लिखना सामान्य गलती नहीं है। इसलिए कार्रवाई की गई।

हैरानी की बात यह है कि शिक्षक को मिले निलंबन आदेश में भी ढेरों गलतियां थीं। जिसके बाद अधिकारी द्वारा जारी किया गया सस्पेंशन लेटर भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। लेटर में Principal को 'princpal', Sirmaur को 'Sirmour', Spellings को 'spelling' और Education को 'educatioin' लिखा गया। इसके बाद एक और बहस देश में शुरू हो गई कि जब ड्राइंग मास्टर को चेक में गलतियां होने पर सस्पेंड कर दिया गया। तो क्या जिस अधिकारी ने सस्पेंशन लेटर बनाया, उसपर भी कार्रवाई हो रही है या नहीं?

इसपर अधिकारियों ने सफाई दी कि समय की कमी थी, नोटिस जल्दी में जारी करना पड़ा। बता दें हिमाचल प्रदेश को 8 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के दिन पूर्ण साक्षर राज्य घोषित किया गया था, जिससे वह त्रिपुरा, मिज़ोरम, गोवा और लद्दाख के बाद पांचवां राज्य बना था।