व्यंगः कुमाऊं यूनिवर्सिटी अपडेट! अरे ओ सांभा... वीसी का राणा से तगड़ा याराना लगता है! पद छूट गया लेकिन कुर्सी नहीं छूट रही

Satire: Kumaon University Update! Hey Sambha... VC seems to have a strong friendship with Rana! I have lost my post but I am not losing my chair.

यूं तो जब-जब सच्ची दोस्ती का जिक्र होता है तो सबसे पहले शोले फिल्म के जय और वीरू का नाम जुबां पर आता है। और लोग अक्सर जय-वीरू की दोस्ती की मिसाल पेश करते हैं और किया भी क्यों ना जाए, क्योंकि फिल्म में जय और वीरू की दोस्ती ही कुछ ऐसी थी। कुछ ऐसी ही दोस्ती के चर्चे इन दिनों कुमाऊं यूनिवर्सिटी में भी हैं। यहां वीसी और पूर्व असोसिएट प्रोफेसर की दोस्ती के चर्चे दूर-दूर तक हो रहे हैं। 

बता दें कि हाल ही में आरटीआई से कुमाऊं यूनिवर्सिटी में फर्जी नियुक्ति का मामला सामने आया था। जिसमें खुलासा हुआ था कि फार्मेसी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. महेन्द्र सिंह राणा की नियुक्ति अवैध तरीके से की गई है जिसे तत्कालीन कुलाधिपति मार्गेट अल्वा एक नहीं बल्कि दो बार निरस्त कर चुकी है। लेकिन डॉ. महेंद्र सिंह राणा का मामला सुनवाई के बिना उच्च न्यायालय में पिछले 12 वर्षों से लटका हुआ है। पिछले वर्ष प्रोफेसर दिवान सिंह रावत कुमाऊं यूनिवर्सिटी के कुलपति बनाए जाते है और उसके बाद प्रोफेसर दिवान सिंह रावत अपने करीबी डॉ. महेंद्र सिंह राणा को परीक्षा नियंत्रक बना देते हैं।  परीक्षा नियंत्रक बनने के बाद से डॉ. महेंद्र सिंह राणा भीमताल कैंपस में बच्चों को पढ़ाने की बजाय कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल में तब से लेकर आज तक मौज काट रहे हैं।

कुछ दिन पूर्व आवाज़ इंडिया ने डॉ. राणा की नियुक्ति को लेकर खुलासा किया था, जिसके बाद डॉ. महेंद्र सिंह राणा ने परीक्षा नियंत्रक के पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन इस्तीफा देने के बाद भी डॉ. महेंद्र सिंह राणा ने फार्मेसी विभाग भीमताल में बच्चों को पढ़ाना शुरू नहीं किया। आज भी डॉ. महेंद्र सिंह राणा कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल में ही डटे हुए हैं भले ही परीक्षा नियंत्रक का चार्ज कुलसचिव के पास चला गया हो। सूत्रों की मानें तो नवनियुक्त कुलपति प्रोफेसर दिवान सिंह रावत से डॉ. महेंद्र सिंह राणा के करीबी रिश्ते हैं जिस वजह से प्रोफेसर दिवान सिंह रावत ने कुलपति बनते ही डॉ. महेंद्र सिंह राणा को परीक्षा नियंत्रक का पद दिया यह जानते हुए भी डॉ. राणा की नियुक्ति अवैध है और मामला उच्च न्यायालय में 12 वर्षों से सुनवाई के बगैर लंबित चल रहा है।

नियमों के मुताबिक डॉ. महेंद्र सिंह राणा को कुमाऊं यूनिवर्सिटी के भीमताल कैंपस के फार्मेसी विभाग में पढ़ाने के लिए होना चाहिए था, लेकिन परीक्षा नियंत्रक के पद से इस्तीफा देने के बावजूद डॉ. राणा वहां जाने की जहमत तक नहीं उठा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि ये सब कुलपति की असीम कृपा से हो रहा है और डॉ. महेन्द्र सिंह राणा के भीमताल कैंपस के फार्मेसी विभाग में न जाने से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कुमाऊं यूनिवर्सिटी में दशकों से अवैध नियुक्तियां होती आई है और यूनिवर्सिटी में आने वाले कुलपतियों ने भी इस परंपरा को अभी तक बरकरार रखा है।

वर्तमान कुलपति प्रोफेसर दिवान सिंह रावत बात-बात पर खुद के पढ़े लिखे होने का दंभ भरते फिरते हैं लेकिन यूनिवर्सिटी में अवैध नियुक्तियां पर जांच के नाम पर चुप्पी साध लेते हैं। फिलहाल जो भी हो, लेकिन कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत और डॉ. महेन्द्र राणा की दोस्ती के चर्चे खूब हैं और हर कोई इस दोस्ती को जय-वीरू की जोड़ी की तरह देख रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दोस्ती से इतर डॉ. महेन्द्र सिंह राणा कब भीमताल को प्रस्थान करते हैं।