जोधपुर में पुलिस और अधिवक्ता आमने सामने: SHO की धमकी पर भड़के वकील, हाईकोर्ट ने दखल देकर पूरे प्रदेश की पुलिस को ‘सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग’ का दिया आदेश
जोधपुर के कुड़ी भगतासनी थाने में वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच हुआ विवाद अब एक स्थानीय घटना न रहकर पूरे प्रदेश में पुलिस के व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़ा कर गया है। SHO द्वारा वकीलों को ‘151 में बंद करने’ की धमकी का वीडियो वायरल होते ही वकील समुदाय में भारी आक्रोश फैल गया। देर रात तक थाने के बाहर वकील धरने पर बैठे रहे, वहीं मंगलवार सुबह राजस्थान हाईकोर्ट ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए कड़ा रुख अपनाया।
रातभर थाने के बाहर धरना, SHO को निलंबित किया गया
विवाद सोमवार देर रात उस समय शुरू हुआ जब एडवोकेट भरतसिंह राठौड़ और एक महिला अधिवक्ता दुष्कर्म पीड़िता की ओर से बयान दर्ज कराने के लिए थाने पहुंचे। आरोप है कि बयान एक पुलिसकर्मी बिना वर्दी में दर्ज कर रहा था। इस पर वकीलों ने आपत्ति जताई तो थानाधिकारी हमीरसिंह और वकीलों के बीच तीखी बहस और धक्का-मुक्की हो गई।
वायरल वीडियो में SHO हमीरसिंह के कथित शब्द — “वकील है तो क्या हुआ, अभी 151 में बंद कर दूंगा, सारी वकालत निकल जाएगी” — स्पष्ट रूप से सुने जा सकते हैं। इसी के बाद वकील समुदाय ने रातभर थाने के बाहर प्रदर्शन किया। देर रात भीड़ बढ़ती गई और माहौल तनावपूर्ण हो गया। वकीलों ने SHO समेत पूरे थाना स्टाफ के निलंबन की मांग की और न्यायिक कार्यों के बहिष्कार का निर्णय लिया।
हाईकोर्ट का सख्त रुख: सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग अब अनिवार्य
मंगलवार सुबह मामला राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्य पीठ तक पहुंचा। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायमूर्ति बलजिंदर सिंह की खंडपीठ ने वायरल वीडियो देखकर इसे “गंभीर दुर्व्यवहार” करार दिया।
कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर ओमप्रकाश पासवान, डीसीपी, एसीपी और SHO को तलब किया तथा थाने में मौजूद सभी पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर करने और 16(सीसी) नोटिस जारी कर जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए। वरिष्ठ अधिवक्ता सचिन आचार्य ने पीड़ित अधिवक्ता की ओर से पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान कमिश्नर ने भी स्वीकार किया कि अधिवक्ता से दुर्व्यवहार हुआ था।
SHO निलंबित, अदालत का बड़ा संदेश
अदालत में सुनवाई के बाद पुलिस कमिश्नर ने SHO हमीरसिंह और रीडर नरेंद्र को निलंबित कर जांच एडीसीपी पश्चिम को सौंप दी। इस बीच, अधिवक्ताओं ने थाने के बाहर SHO का पुतला जलाया और पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच की मांग की। अतिरिक्त महाधिवक्ता महावीर बिश्नोई ने दोनों पक्षों के बीच संवाद स्थापित कर स्थिति को शांत करने का प्रयास किया।
मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि “पुलिस को जनता के साथ संवाद और व्यवहार में संवेदनशीलता दिखानी चाहिए।” अदालत ने आदेश दिया कि प्रदेश के सभी पुलिसकर्मियों को सॉफ्ट स्किल और संवाद कौशल का प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से दिया जाए, ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में न दोहराई जाएं।
संदेश साफ: कानून के रक्षक भी जवाबदेह हैं
जोधपुर की यह घटना सिर्फ एक थाने तक सीमित नहीं रही। इसने पूरे प्रदेश में पुलिस की कार्यशैली, संवाद और नागरिकों से व्यवहार को लेकर गंभीर बहस छेड़ दी है। अदालत के निर्देश ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वर्दी का अधिकार जिम्मेदारी के साथ आता है और नागरिकों की गरिमा हर हाल में सर्वोपरि है।