Nobel Peace Prize 2025: मारिया कोरिना मचाडो को मिला नोबेल शांति पुरस्कार! ट्रंप को लगा बड़ा झटका, जानें कौन हैं वेनेजुएला की ‘आयरन लेडी’

नई दिल्ली। साल 2025 के लिए नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान हो गया है। इस वर्ष का नोबेल पुरस्कार वेनेजुएला की प्रमुख विपक्षी नेता और औद्योगिक इंजीनियर मारिया कोरिना मचाडो को मिला है। मचाडो को लोगों के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने, देश में तानाशाही से लोकतंत्र की रक्षा करने और न्यायपूर्ण तथा शांतिपूर्ण कार्यों में संघर्ष के लिए दिया गया है। इस घोषणा के साथ ही डोनाल्ड ट्रंप की नोबेल पुरस्कार जीतने की उम्मीदों को झटका लगा है, जो पिछले कुछ दिनों से इस दौड़ में अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे। बता दें कि नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मारिया कोरीना मचाडो ने पिछले एक साल से छिपे हुए जीवन जीने को मजबूर होने के बावजूद अपने संघर्ष को जारी रखा। नोबेल कमेटी ने कहा कि उनके जीवन को गंभीर खतरा होने के बावजूद, वह देश में बनी रहीं। उनका यह चुनाव लाखों लोगों को प्रेरित करने वाला है। नोबेल कमेटी ने मचाडो की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा कि जब सत्तावादी ताकतें सत्ता पर कब्जा कर लेती हैं, तो आजादी के साहसी रक्षकों को पहचानना महत्वपूर्ण है जो उठ खड़े होते हैं और विरोध करते हैं।
कौन हैं मारिया कोरिना मचाडो?
मारिया कोरिना मचाडो का जन्म 7 अक्टूबर 1967 को हुआ था। वह वेनेजुएला की प्रमुख विपक्षी नेता और औद्योगिक इंजीनियर हैं। 2002 में उन्होंने वोट निगरानी समूह सूमाते की स्थापना की और वेंटे वेनेजुएला पार्टी की राष्ट्रीय समन्वयक हैं। 2011-2014 तक वे वेनेजुएला की नेशनल असेंबली की सदस्य रहीं। वह 2018 में बीबीसी की 100 प्रभावशाली महिलाओं और 2025 में टाइम पत्रिका की 100 प्रभावशाली व्यक्तियों में शामिल हुईं। निकोलस मादुरो सरकार ने उनके देश छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था। 2023 में अयोग्यता के बावजूद, उन्होंने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी प्राथमिक चुनाव जीता, लेकिन बाद में उनकी जगह कोरिना योरिस को उम्मीदवार बना दिया गया।
क्यों मिला पुरस्कार?
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मारिया कोरीना मचाडो ने कठिन हालातों के बीच छिपकर रहना पड़ा। लेकिन, इस दौरान उन्होंने अपने संघर्ष को जारी रखा। नोबेल कमेटी ने कहा, "उनके जीवन को गंभीर खतरा होने के बावजूद, वह देश में बनी रहीं। उनका यह चुनाव लाखों लोगों को प्रेरित करने वाला है।" नोबेल कमेटी ने मचाडो की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा कि जब सत्तावादी ताकतें सत्ता पर कब्जा कर लेती हैं, तो आजादी के साहसी रक्षकों को पहचानना महत्वपूर्ण है जो उठ खड़े होते हैं और विरोध करते हैं। समिति ने कहा, 'लोकतंत्र उन लोगों पर निर्भर करता है जो चुप रहने से इनकार करते हैं, जो गंभीर जोखिम के बावजूद आगे बढ़ने का साहस करते हैं, और जो हमें याद दिलाते हैं कि स्वतंत्रता को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए, बल्कि इसे शब्दों, साहस और दृढ़ संकल्प के साथ हमेशा सुरक्षित रखना चाहिए।'