करवाचौथ स्पेशलः प्रेम और समर्पण का पर्व! बाजारों में उमड़ी रौनक, जानें व्रत के शुभ मुहूर्त से लेकर चांद के दीदार तक का समय

-कंचन वर्मा-
नैनीताल/रुद्रपुर। पति और पत्नी के बीच के प्रेम और समर्पण का पर्व करवा चौथ कल रविवार को पूरे देश में मनाया जाएगा। उत्तराखण्ड में भी करवाचौथ की धूम मची हुई है। बाजारों में खासी रौनक देखने को मिल रही है। इस दौरान बाजार पूरी तरह सजे हुए हैं और महिलाएं उत्साह के साथ खरीददारी को पहुंच रही हैं। नैनीताल और ऊधम सिंह नगर जिले भी में करवाचौथ के पर्व को लेकर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। गौरतलब है कि करवाचौथ के व्रत का महिलाओं को पूरे साल इंतजार रहता है। महिलाएं इस दिन विशेष रूप से तैयार होती हैं और सोलह श्रृंगार करती है। करवाचौथ के पर्व को लेकर बाजारों में कॉस्मेटिक, कपड़े, ज्वेलरी से लेकर मिठाई की दुकानों पर जबरदस्त भीड़ जुटी हुई है। रुद्रपुर के मनिहारी गली की दुकानों में महिलाएं रंग-बिरंगी चूड़ियां सहित 16 श्रृंगार की सामग्री खरीदने में जुटी हुई हैं। इसके अलावा महिलाएं बड़ी संख्या में मेंहदी लगवा रही हैं।
यूं तो करवा चौथ का व्रत सौभाग्यवती महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के बारे में भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को बताया था और भगवान शिव ने माता पार्वती को बताया था। करवा चौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। करवा चौथ पर मुख्यतः भगवान गणेश, माता गौरी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। इस बार करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर यानी कल रखा जाएगा।
कल सुबह 6 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी चतुर्थी तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस बार चतुर्थी तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर यानी कल सुबह 6 बजकर 46 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 21 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर होगा। वहीं करवा चौथ के लिए दो पूजन मुहूर्त मिलेंगे। पहला अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक रहेगा और फिर, दोपहर 1 बजकर 59 मिनट से लेकर 2 बजकर 45 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा। इस बार करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय शाम 7 बजकर 54 मिनट बताया जा रहा है।
करवा चौथ पर इन बातों का रखें ध्यान
जानकारों के मुताबिक करवाचौथ की पूजा करने के बाद करवा विवाहित महिलाओं को ही बांट देने चाहिए। इस दौरान निराहार रह कर दिन भर गणेश मंत्र का जाप करना चाहिए। रात्रि में चंद्र देव के उदय होने के बाद परंपरा अनुसार उनको विधिपूर्वक अर्घ्य प्रदान करें। इसके साथ ही गणेश जी और चतुर्थी माता को भी अर्घ्य देना चाहिए। जानकारों का कहना था कि इस समय ध्यान रखना चाहिए कि व्रत करने वाले नमक युक्त भोजन से दूर रहें। व्रत कम से कम 12 या 16 साल तक करना चाहिए। इसके बाद उद्यापन कर सकते हैं।