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ऐतिहासिक पहलः एम्स में पहली बार हुआ भ्रूण दान! जैन परिवार की अनूठी मिसाल, र‍िसर्च को मिलेगी नई दिशा

Historical initiative: Embryo donation happened for the first time in AIIMS! Jain family's unique example, research will get a new direction

नई दिल्ली। दिल्ली एम्स से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने हर किसी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है। यहां एक परिवार ने पहली बार भ्रूण दान किया है। लोग इसे ऐतिहासिक पहल बता रहे हैं। खबरों के अनुसार 32 वर्षीय वंदना जैन का पांचवें महीने में गर्भपात हो गया था। इस मुश्किल घड़ी में परिवार ने भ्रूण को शोध और शिक्षा के लिए एम्स को दान करने का निर्णय लिया। वंदना जैन के परिवार का दधीचि देहदान समिति से संपर्क हुआ। समिति के उपाध्यक्ष सुधीर गुप्ता और समन्वयक जीपी तायल ने त्वरित पहल करते हुए एम्स के एनाटॉमी विभाग के प्रमुख डॉ. एसबी राय और उनकी टीम से बातचीत की। टीम के सहयोग से एम्स ने अपना पहला भ्रूण दान प्राप्त किया। इस पहल ने जैन परिवार को समाज में एक अनूठी मिसाल बना दिया। उन्होंने अपने व्यक्तिगत दुख को मानवता और विज्ञान के लिए अमूल्य योगदान में बदल दिया। दधीचि देहदान समिति पहले से ही अंगदान, नेत्रदान और देहदान के क्षेत्र में देशभर में जागरूकता फैलाती रही है।

भ्रूण दान का यह पहला मामला समिति की मुहिम को और ऐतिहासिक बना गया है। ये कहानी सिर्फ भ्रूण दान की नहीं है, बल्कि संवेदना, साहस और समर्पण की है। वंदना जैन और उनका परिवार आने वाले समय में लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण बन गए हैं। एम्स और दधीचि देहदान समिति की ये पहल भविष्य की पीढ़ियों को चिकित्सा की नई राह दिखाएगाा। बता दें कि भ्रूण दान सिर्फ एक मेडिकल प्रोसेस नहीं, बल्कि आने वाले समय की रिसर्च और शिक्षा का बड़ा आधार है। एम्स के डॉक्टरों के मुताबिक मानव शरीर के विकास को समझने के लिए भ्रूण अध्ययन बेहद अहम है। रिसर्च और टीचिंग में यह देखने का मौका मिलता है कि किस तरह शरीर के अलग-अलग अंग अलग-अलग समय पर विकसित होते हैं। जैसे बच्चा जब जन्म लेता है तो उसका नर्वस सिस्टम पूरी तरह डेवेलप नहीं होता। वह धीरे-धीरे दो साल बाद विकसित होता है। ऐसे मामलों का अध्ययन मेडिकल छात्रों और वैज्ञानिकों को गहराई से समझने का मौका देता है।