लाचारी: झोले में नवजात की लाश लेकर DM ऑफिस पहुंचा पिता! बोला- साहब बेटे को जिंदा कर दो... या फिर..? तस्वीर ने उठाए सवाल- भाजपा के डबल इंजन में ये कैसा हाल

इसे लाचारी कहें या फिर डबल-ट्रिपल इंजन वाली सरकार का फेलियर! जो भी हो यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में एक मासूम ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। सिस्टम का ये फेलियर तब सामने आया जब मृत बच्चे का शव झोले में लेकर मजबूर पिता डीएम दफ्तर पहुंच गया और कहने लगा साहब मेरे बच्चे को जिंदा कर दो। यह सुनकर वहां मौजूद अधिकारियों के होश उड़ गए। पीड़ित पिता का कहना था कि इलाज के अभाव में उसके नवजात की मौत हो गई। बच्चे के पिता ने आरोप लगाया है कि उसके पास पैसे नहीं थे। इसलिए अस्पताल प्रबंधन ने इलाज करने से मना कर दिया। इलाज के अभाव में बच्चे की मौत हो गई। घटना के बाद पिता अपने नवजात बच्चे की लाश झोले में लेकर डीएम ऑफिस पहुंच गया। यहां उसने कहा कि साहब या तो उसके बच्चे को जिंदा कर दिया जाए या फिर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। बेबस पिता की आंखों में आंसू थे। उसने रुंधी आवाज में बताया कि उसकी पत्नी की हालत बेहद नाजुक है। वह बार-बार अपना बच्चा मांग रही है, वह अपने पत्नी को क्या जवाब दे। बिपिन गुप्ता नाम के व्यक्ति ने गोलदार हॉस्पिटल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़ित ने बताया कि वह हरिद्वार से आ रहा था। उसके साढ़ू ने फोन कर बताया कि उसकी बीवी की तबीयत ज्यादा खराब है। ऐसे में उसने अस्पताल में भर्ती कराने की बात कही। जिस पर वह अपनी पत्नी को बिजुआ स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज के लिए भर्ती कराया, जहां से हालत गंभीर होती देख वहां की एक आशा वर्कर ने उसकी पत्नी को जिला महिला अस्पताल की बजाय महेवागंज स्थित गोलदार हॉस्पिटल में ले जाकर भर्ती करा दिया। जहां अस्पताल प्रशासन ने कहा कि अगर आपकी हैसियत है तो यहां इलाज कराएं अन्यथा दूसरी जगह चले जाएं। ऐसे में वह इलाज के लिए राजी हो गया। जैसे-जैसे पत्नी की तबीयत बिगड़ती गई, वैसे-वैसे अस्पताल की मांग बढ़ती गई। जब पैसे कम पड़े तो इलाज करने से मना कर दिया। इलाज के अभाव में नवजात की मौत हो गई। पीड़ित पिता का कहना है कि नवजात की हालत गंभीर थी, लेकिन अस्पताल ने इलाज करने से मना कर दिया और मासूम ने दम तोड़ दिया। मामले में सीडीओ के निर्देश पर अस्पताल पहुंचे सदर एसडीएम व स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अस्पताल में कई कमियां पाई। जांच पड़ताल के बाद अस्पताल को सील कर दिया गया। फिलहाल इस मामले को लेकर सरकार और सिस्टम पर सवाल उठ रहे हैं।