आजादी का जश्नः भारत माता की जय के नारों से गूंजा समूचा भारत! प्रधानमंत्री ने दिया जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान का नारा, लिंक में पढ़ें लालकिलें पर मोदी के पांच संकल्प

Celebration of Independence: Whole India reverberated with the slogans of Bharat Mata Ki Jai! Prime Minister gave the slogan of Jai Jawan, Jai Kisan, Jai Vigyan and Jai Anusandhan, read in the link M

नई दिल्ली। देश आज आजादी का जश्न मना रहा है, हर तरफ उत्साह और उत्लास का माहौल देखने को मिल रहा है। पूरा देश आज भारत माता की जय के नारों से गूंजा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले से नौवीं बार राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया। इस दौरान उन्हें 21 तोपों की सलामी भी दी गई। अपने 83 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सामने 5 संकल्प रखे। भ्रष्टाचार, परिवारवाद, भाषा और लोकतंत्र का जिक्र किया। गांधी, नेहरू, सावरकर को यादकर नमन किया। नारी शक्ति के सम्मान और उनके गौरव की बात करते हुए भावुक भी हो गए। उन्होंने कहा, मैं एक पीड़ा जाहिर करना चाहता हूं। मैं जानता हूं कि शायद ये लाल किले का विषय नहीं हो सकता। मेरे भीतर का दर्द कहां कहूं। वो है किसी न किसी कारण से हमारे अंदर एक ऐसी विकृति आई है, हमारी बोल चाल, हमारे शब्दों में.. हम नारी का अपमान करते हैं। क्या हम नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगर हम अपनी ही पीठ थपथपाते रहेंगे तो हमारे सपने कहीं दूर चले जाएंगे। इसलिए हमने कितना भी संघर्ष किया हो उसके बावजूद भी जब आज हम अमृत काल में प्रवेश कर रहे हैं, तो अगले 25 साल हमारे देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज मैं लाल किले से 130 करोड़ लोगों को आह्वान करता हूं। साथियों मुझे लगता है कि आने वाले 25 साल के लिए भी हमें उन पांच प्रण पर अपने संकल्पों को केंद्रित करना होगा। हमें पंच प्रण को लेकर, 2047 जब आजादी के 100 साल होंगे, आजादी के दीवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठाकर चलना होगा।

पहला प्रण: अब देश बड़े संकल्प लेकर ही चले। बहुत बड़े संकल्प लेकर चलना होगा। बड़ा संकल्प है, विकसित भारत।

दूसरा प्रण: किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर गुलामी का एक भी अंश अगर अभी भी है तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। हमें उससे मुक्ति पानी ही होगी।

तीसरा प्रण: हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए। यही विरासत जिसने कभी भारत का स्वर्णिम काल दिया था। इस विरासत के प्रति हमें गर्व होना चाहिए।

चौथा प्रण: एकता और एकजुटता। 130 करोड़ देशवासियों मे एकता। न कोई अपना न कोई पराया।

पांचवां प्रण: नागरिकों का कर्तव्य। जिसमें PM भी बाहर नहीं होता, CM भी बाहर नहीं होता है। वो भी नागरिक हैं। आने वाली 25 साल के सपनों को पूरा करने के लिए एक बहुत बड़ी प्राणशक्ति है। जब सपने बड़े होते हैं। जब संकल्प बड़े होते हैं तो पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा होता है।