मंदिर के बाहर इस्लामी पर्चे बांटने का मामला! कर्नाटक हाईकोर्ट ने तीन के खिलाफ दर्ज एफआईआर की रद्द, जानें क्या है मामला?

Case of distributing Islamic pamphlets outside the temple! Karnataka High Court cancels FIR registered against three, know what is the case?

नई दिल्ली। कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंदिर के पास पर्चे बांटने व इस्लाम का प्रचार करने के आरोप में तीन व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है। मामले में फैसला देने वाले जज वेंकटेश नाइक टी ने कहा कि ऐसे कोई आरोप नहीं हैं कि इन तीनों लोगों ने किसी का धर्मांतरण कराया हो, या फिर उस दिशा में कोई प्रयास भी किया हो। बता दें कि तीनों के खिलाफ राज्य के धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। अदालत ने साफ किया कि कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रा संरक्षण कानून 2022 – जिस धर्मांतरण कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया गया, वो वैसे ही धर्मांतरण को रोकने की बात करता है जहां बरगलाकर धर्म परिवर्तन कराया गया हो। वह भी आरोप तब बनेगा जब जिसका धर्मांतरण हुआ है, वह खुद या उसके परिवार का कोई सदस्य मुकदमा दर्ज कराए। चूंकि इस मामले में किसी तीसरे पक्ष ने मुकदमा दर्ज कराया था, जिसका इस विषय से सीधे तौर पर कोई लेना-देना नहीं था। अदालत ने मामले को रफा-दफा कर दिया।

ये पूरा मामला था क्या?

मई 2025। यानी करीब दो महीने पहले मुस्तफा, अलीसाब और सुलेमान नाम के तीन लोगों को कर्नाटक में मौजूद रामतीर्थ मंदिर के करीब इस्लाम का प्रचार करते पाया गया। वे वहां कुछ पर्चे बांटते हुए इस्लाम की शिक्षा और अपनी धार्मिक मान्यताओं का प्रचार कर रहे थे। आरोप है कि जब इस मामले में शिकायत करने वाले रमेश मालप्पा उनके पास गए तो इन तीनों ने हिंदू धर्म की आलोचना शुरू कर दी। बकौल रमेश, इन्होंने कहा कि अगर तुम हिंदू बने रहोगे, तो तुम ईश्वर को नहीं पा सकोगे। अल्लाह के सिवा कोई खुदा नहीं है। बाकी सभी ईश्वर काफिर हैं। रमेश का दावा है कि आरोपियों ने कहा कि उनका मकसद समूची दुनिया को इस्लाम धर्म में बदलने का है, इस दिशा में अगर कोई भी रुकावट लाता है तो उसे गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। इसी विषय को आधार बनाकर राज्य सरकार अदालत में मुकदमा लड़ रही थी।