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बड़ी खबरः बिहार एसआईआर मामला! राजनीतिक दलों की निष्क्रियता पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई हैरानी, मांगा जवाब

Big news: Bihar SIR case! Supreme Court expressed surprise at the inaction of political parties, sought answers

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज शुक्रवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने राजनीतिक दलों की निष्क्रियता पर हैरानी जताई और बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को निर्देश दिया कि वे सभी 12 पंजीकृत राजनीतिक दलों के अध्यक्षों और महासचिवों को नोटिस जारी करें। कोर्ट ने कहा कि इन दलों को अगली सुनवाई में मतदाता सूची सुधार प्रक्रिया में अपनी भागीदारी की स्थिति पर स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। इस मामले की अगली सुनवाई अब 8 सितंबर 2025 को होगी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि वे इस बात से हैरान हैं कि 1.6 लाख बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) होने के बावजूद, राजनीतिक दलों की ओर से ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में सुधार के लिए केवल दो शिकायतें दर्ज की गई हैं। कोर्ट ने सभी 12 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को अगली सुनवाई में मौजूद रहने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने मतदाताओं को राहत देते हुए कहा कि मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने या सुधार के लिए अब ऑनलाइन आवेदन जमा किए जा सकते हैं। इसके लिए फॉर्म को भौतिक रूप से जमा करना जरूरी नहीं होगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि फॉर्म-6 के लिए निर्धारित 11 दस्तावेजों या आधार कार्ड में से कोई एक दस्तावेज जमा करना पर्याप्त होगा। सुनवाई में कुछ राजनीतिक दलों ने दलील दी कि उनके बूथ लेवल एजेंट्स को आपत्तियां दर्ज करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। इस पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि अगर दल अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभाते, तो प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुधार की स्थिति बेहतर होती। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि आम लोग राजनीतिक दलों से ज्यादा जागरूक हैं, क्योंकि 1 अगस्त के बाद 2.63 लाख नए मतदाताओं ने पंजीकरण के लिए आवेदन किया है।