यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर एडवोकेट सुबुही खान की वीडियो हुई वायरल! आखिर क्यों कुछ लोग हैं इसके खिलाफ? सुबही खान ने किये कई खुलासे!पैगम्बर मोहम्मद साहब पर क्या बोलीं सुबुही खान?

Advocate Subuhi Khan's video regarding Uniform Civil Code went viral! Why are some people against it? Subhi Khan made many revelations!

यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता को ले नए सिरे से परामर्श प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है । अनुमान लगाया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यह देश में लागू हो सकता है । इस बीच सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता सुबुही खान का यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बयान आया है । उनके इस बयान से साफ हो रहा है कि कि समान नागरिक संहिता को लेकर मुस्लिम धर्म गुरुओं का रवैया क्या रहने वाला है । उन्होंने अपना रुख जाहिर करते हुए कहा कि वह यूनिफॉर्म सिविल कोड ( यूसीसी ) का सपोर्ट करेंगी ।उन्होंने ये भी बताया कि आखिर क्यों मुसलमान इस के विरोध में है।उन्होंने कहा कि आज यूनिफॉर्म सिविल कोड की सबसे ज्यादा जरूरत मुसलमान को है। उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रीय जागरण के तहत एक अभियान चला रहे है जिसमे हम भारत प्रवास पर है,उन्होंने अपने बयान में आगे कहा कि इस अभियान के तहत हम हैदराबाद पहुंचे,वहाँ आज भी हैदराबाद में 80 साल के बुजुर्ग शेख अरब देशों से आकर 12-12, साल की बच्चियों से निकाह कर लेते है। इस निकाह को मिस्यार मैरिज का नाम दिया गया है यानी ट्रेवलर्स मैरिज!उन्होंने बताया कि जब तक अरबी शेखों के ये यात्रा चलती है तब तक ही ये निकाह भी चलता है यात्रा खत्म होते ही निकाह की एक्सपायरी डेट आ जाती है।  उन्होंने आगे कहा कि छोटी छोटी बच्चियों का शारीरिक शोषण कर ये शेख अपने देश चले जाते है और कहते है कि उनको इसकी इजाजत शरिया कानून देता है। वो आगे कहती है कि आज भी मुसलमान बहु विवाह करते है,बीवी की मौजूदगी में दूसरा निकाह करते है एक महिला का शारिरिक, मानसिक आर्थिक शोषण करते है।

शरिया कानून की आड़ में ये पुरुष बचकर निकल जाते है,कोई भी पुरुष बूढ़ा भी 12 साल तक की बच्चियों से निकाह कर लेता है ये कहकर कि शरिया कानून में ये जायज है। और कहते है कि जब लड़की की महावारी शुरू हो जाती है तो उससे कोई भी निकाह कर सकता है।

सुबही आगे कहती है कि शरिया कानून में गोद लेने की भी मनाही है। कोई महिला अगर किसी कारणवश बच्चा पैदा न कर पाए तो उसको ये अधिकार नही है कि वो अपने भारत देश का गोद लेने के अधिकार के तहत कोई बच्चा गोद ले ले। एक मुस्लिम महिला का बच्चा पैदा न कर पाना एक मुस्लिम पुरुष को मौका देता है कि वो दूसरा निकाह कर सके। 


वो आगे कहती है कि शरपरस्ती यानी संरक्षण का कानून भी मुसलमान पर लागू नही होता क्योंकि शरिया कानून के मुताबिक अगर किसी पुरुष की मौत हो जाये तो उसके बच्चों की कस्टडी मां को नही दी जा सकती,शरिया कानून के मुताबिक मां नेचुरल गार्डियन नही होती है। ससुराल वाले महिला को घर से भी निकाल सकते है। उन्होंने आगे कहा जो लोग अल्लाह मानते है मैं उनसे कहना चाहती हूं अगर आप पैगम्बर मोहम्मद साहब पर यकीन करते है तो ये जान ले कि वो महिलाओं के अधिकारों की बात करते थे। अरब में जब बच्चियों को पैदा होते ही ज़मीन में दफना दिया जाता था तब पैगम्बर मोहम्मद साहब ने कहना शुरू किया जिन घरों में बेटियां पैदा होती है उन्हें अल्लाह ने सलाम भेजा होता है। पैगम्बर मोहम्मद अपनी बेटी बीवी फातिमा के आते ही उनके सम्मान में खड़े हो जाया करते थे। उन्होंने पहली शादी एक विधवा से की थी जो नकाब में चेहरा नही ढकती थीं,चारदीवारी में नही रहती थी, बिजनेस वूमन थी वो।पैगम्बर मोहम्मद साहब हमें महिलाओं का सम्मान सीखा कर गए है वो घर का काम भी करते थे खाना बनाते थे कपड़े धोते थे। उन्होंने कहा कि लेकिन आज मुसलमानों ने महिलाओं को सिर्फ सेक्सुअल कमोडिटी बना दिया है।

आपको बता दे कि सुबुही खान भारतीय सुप्रीम कोर्ट की एक वकील और एक जानी-मानी सामाजिक सेविका है। सुबुही खान का जन्म 30 नवंबर 1986 में मेरठ उत्तर प्रदेश में हुआ था। इन्हें आप टीवी डिबेट पर अपनी बातों को तार्किक और बौद्धिक आघार पर रखते हुए देख सकते हैं।


सुबुही खान वो महिला है जो हमेशा देश के लिए मुखर होकर अपनी बात को रखती है, साथ ही वह देश में रह रहे कट्टरपंथियों और देशद्रोहियों को अपनी बातों से बहुत से टीवी डिबेट(TV debate) में लताड़ भी लगाती है, जो देश की आन-बान-शान पर सवाल उठाते हैं। हाल ही में एक टीवी डिबेट में उन्होंने एक कट्टरपंथी की जमकर पिटाई की थी जिसकी वीडियो भी सोशल मीडिया में खूब वायरल हुई थी