एक्शनः फर्जी डिग्री बनाकर सरकारी टीचर बनी तीन महिलाएं! पोल खुलते ही गई नौकरी, अब सलाखों के पीछे कटेंगे पांच साल

Action: Three women became government teachers by making fake degrees! As soon as the truth was exposed, he lost his job, now he will spend five years behind bars.

रुद्रप्रयाग। फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी पाने वालीं तीन शिक्षिकाओं को अदालत ने पांच-पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। यही नहीं शिक्षिकाओं पर 10-10 हजार रुपए का अर्थदण्ड भी लगाया गया है। जुर्माना अदा न करने पर तीनों महिलाओं को तीन महीने के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी। वहीं दोषी शिक्षिकाओं को न्यायिक अभिरक्षा में पुरसाड़ी जेल भेज दिया गया। अदालत ने आदेश की प्रति शिक्षा विभाग को भी भेज दी है। साथ ही गैर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। 
जानकारी के मुताबिक रुद्रप्रयाग जिले में तैनात महिला शिक्षिका माया बिष्ट, सरोज मेवाड़ और संगीता राणा ने बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी प्राप्त की। शिक्षा विभाग के एसआईटी और विभागीय जांच के अनुसार तीनों महिला शिक्षकाओं को विभिन्न फौजदारी मामलों में अलग-अलग सालों में प्राप्त फर्जी बीएड की डिग्री से नौकरी हासिल करने पर उनकी बीएड की डिग्री का सत्यापन कराया गया। वहीं सत्यापन के बाद चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से जांच आख्या प्राप्त हुई, जिसमें पाया गया कि तीनों फर्जी महिला शिक्षकाओं ने विश्वविद्यालय से कोई भी बीएड की डिग्री नहीं ली है। शासन स्तर से एसआईटी जांच भी कराई गई, जिसके आधार पर शिक्षा विभाग रुद्रप्रयाग ने तीनों शिक्षिकाओं के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया। फर्जी शिक्षिकाओं को तत्काल निलंबित कर बर्खास्त किया गया और सीजेएम न्यायालय के समक्ष विचारण हुआ। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की कोर्ट ने शिक्षिकाओं को फर्जी बीएड की डिग्री के आधार पर छल और कपट से नौकरी हासिल करने पर दोषी करार पाया। जिसके बाद शिक्षिकाओं को धारा 420 भारतीय दंड संहिता 1860 के तहत पांच-पांच वर्ष का कठोर कारावास की सजा और दस हजार रुपए जुर्माने से दंडित किया गया।