अफ़ग़ानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री और UN की लिस्ट में आतंकवादी घोषित अमीर ख़ान मुत्तक़ी के यूपी में स्वागत पर छिड़ी बहस!महिला पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस से रखा गया दूर?

उत्तर प्रदेश के देवबंद में अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी की भारत यात्रा विवादों में घिर गई है। जो यूपी सरकार तालिबानियों के खिलाफ जमकर बोला करती थी वो उनके स्वागत में गॉड ऑफ ऑनर दे रही थी। इतना ही नहीं उस दौरान भारत की महिला पत्रकारों को भी कार्यक्रम से दूर रखने के आरोप लग रहे हैं,जिसे लेकर सोशल मीडिया में जोरदार बहस छिड़ गई।
मामले के मुताबिक अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी भारत दौरे पर थे,उनकी बीते शनिवार (12 अक्टूबर 2024) को होने वाली स्पीच को रद्द कर दिया गया था क्योंकि वे तय समय से ढाई घंटे पहले ही वहां से रवाना हो गए। उनकी योजना शाम 5 बजे तक रुकने की थी, लेकिन वे दोपहर ढाई बजे ही चले गए। चर्चा है कि भारी भीड़ और अराजकता की वजह से स्पीच रद्द की गई, हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई।
देवबंद के दारुल उलूम इस्लामिक मदरसा में उनके आने पर छात्रों और स्थानीय लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई थी, जिससे सुरक्षा व्यवस्था चरमरा गई। पुलिस को छात्रों को धक्का देकर हटाना पड़ा, और इस वजह से मुत्तकी को गार्ड ऑफ ऑनर भी नहीं दिया जा सका।
इससे पहले, देवबंद पहुंचने पर मुत्तकी का फूलों की वर्षा से भव्य स्वागत किया गया। छात्र उनसे मिलने के लिए इतने उत्साहित थे कि वे सुरक्षा घेरा तोड़कर आगे बढ़ आए। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि स्थिति बेकाबू हो गई, और पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। मुत्तकी ने इस गर्मजोशी भरे स्वागत पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मैं देवबंद के उलेमा और क्षेत्र के लोगों का इस हार्दिक स्वागत के लिए शुक्रगुजार हूं। भारत-अफगानिस्तान संबंधों का भविष्य बहुत उज्ज्वल नजर आता है।" उन्होंने अफगानिस्तान के 20 छात्रों से, जो देवबंद में इस्लामी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, बातचीत भी की। दारुल उलूम देवबंद 156 साल पुराना इस्लामी शिक्षा का प्रमुख केंद्र है, जो दुनिया भर में जाना जाता है।
मुत्तकी की स्पीच लाइब्रेरी में होनी थी, लेकिन रद्द होने पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बताया कि विदेश मंत्री ने दारुल उलूम में छात्रों से बातचीत की, लेकिन उनके साथ आए अधिकारियों ने जल्दी लौटने की इच्छा जताई। हमने उन्हें कहा कि अगर आप जाना चाहते हैं तो जाइए। हाल की रिपोर्ट्स के अनुसार, मुत्तकी का दौरा अराजकता के कारण छोटा कर दिया गया, और वे दिल्ली सड़क मार्ग से लौट गए। उनके भारत दौरे के दौरान आगरा का दौरा भी रद्द कर दिया गया।
इससे पहले शुक्रवार (11 अक्टूबर 2024) को मुत्तकी ने दिल्ली में अफगान दूतावास में प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें कोई महिला पत्रकार मौजूद नहीं थी। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि महिला पत्रकारों को पर्दे के पीछे बिठाया गया था। इस मामले ने भी तूल पकड़ लिया,सोशल मीडिया में ये तक कह गया कि भारत में तालिबान नियम चलने लगे। मामले में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया कि भारत में हमारी ही देश की सक्षम महिलाओं का अपमान कैसे होने दिया गया? मुत्तकी 7 दिनों के भारत दौरे पर 9 अक्टूबर को काबुल से दिल्ली पहुंचे थे। उनके दौरे का उद्देश्य भारत-अफगानिस्तान संबंधों को मजबूत करना था, और वे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर रहे थे।
बॉलीवुड के मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने भी मुत्तकी के देवबंद दौरे के स्वागत पर शर्म जताते हुए कहा कि एक तालिबानी मंत्री को भारत में इस तरह सम्मान देना शर्मनाक है।
वहीं अफ़ग़ानिस्तान के पत्रकार हबीब ख़ान ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा है, ''डियर इंडिया, तालिबान के अधिकारियों की मेहमाननवाज़ी अफ़ग़ान राष्ट्र के साथ एक धोखा है और उन लड़कियों के मुँह पर तमाचा, जिनके स्कूल जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. उस शासन की ख़ुशामदी न हो, जो आतंक और महिलाओं के उत्पीड़न से बना है.''
तालिबान के पहले कार्यकाल के शुरुआती सालों में ही तालिबान पर मानवाधिकार के उल्लंघन और सांस्कृतिक दुर्व्यवहार से जुड़े कई आरोप लगने शुरू हो गए थे.दूसरे शासनकाल में भी स्थिति वैसी ही है. लड़कियों के लिए स्कूल के दरवाज़े बंद हो गए हैं. लड़कियों की लिखीं किताबों तक पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं.
पाकिस्तान ने मुत्तकी के जम्मू-कश्मीर पर दिए बयान पर अफगान राजदूत को तलब किया है। मुत्तकी ने भारत दौरे के दौरान क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग पर जोर दिया, लेकिन उनके तालिबान से जुड़े होने के कारण विवाद बना हुआ है। उनके दौरे से भारत की तालिबान सरकार के साथ व्यावहारिक नीति स्पष्ट हो रही है, जहां क्षेत्रीय स्थिरता को प्राथमिकता दी जा रही है।
सोशल मीडिया पर लोग अमीर खान मुत्तकी को "तालिबानी मंत्री" क्यों कहकर पोस्ट कर रहे हैं? इसका कारण यह है कि मुत्तकी अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री हैं। तालिबान एक कट्टरपंथी इस्लामी समूह है, जिसे कई देशों में आतंकवादी संगठन माना जाता है। 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था, और मुत्तकी उसी सरकार का हिस्सा हैं। वे पहले तालिबान के पहले शासन (1996-2001) में भी प्रवक्ता और मंत्री रह चुके हैं। सोशल मीडिया यूजर्स "तालिबानी मंत्री" शब्द का इस्तेमाल उनके तालिबान से जुड़ाव को उजागर करने के लिए करते हैं, खासकर जब वे महिलाओं के अधिकारों, मानवाधिकारों और आतंकवाद से जुड़े मुद्दों पर विवादास्पद होते हैं। यह शब्द उनके पद को अफगानिस्तान के आधिकारिक मंत्री के रूप में मान्यता न देकर, तालिबान के साथ जोड़कर इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि कई लोग तालिबान सरकार को वैध नहीं मानते। उदाहरण के लिए, सोशल मीडिया पोस्ट्स में उन्हें आतंकवादी, महिला विरोधी और हत्यारा कहा जाता है, और उनके भारत दौरे पर सवाल उठाए जाते हैं। यह शब्द उनकी पृष्ठभूमि और तालिबान की छवि को दर्शाता है, जो अफगानिस्तान में महिलाओं पर प्रतिबंध, शिक्षा पर रोक और मानवाधिकार उल्लंघनों से जुड़ी है।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में मुत्तक़ी के बारे में लिखा है, ''साल 2001 से साल 2021 तक यानी दो दशकों तक तालिबान एक विद्रोही ग्रुप की तरह अफ़ग़ानिस्तान में सक्रिय रहा. इस दौरान मुत्तकी ने तालिबान के पक्ष में रणनीतियाँ बनाईं, उसका प्रचार किया. इसके बाद वह सुप्रीम लीडर के मुख्य स्टाफ़ में शामिल हुए और क़तर में तालिबान की राजनीतिक टीम का भी हिस्सा बने. मुत्तक़ी ने तालिबान की इन्विटेशन एंड गाइडेंस कमिशन का नेतृत्व किया।साल 2001 में जब अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की सरकार थी ही, तभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने प्रतिबंधित आतंकवादियों की सूची में अमीर ख़ान मुत्तक़ी को शामिल किया था.वो तब तालिबान सरकार में शिक्षा मंत्री थे और तालिबान पर अल-क़ायदा को पनाह देने और उनका समर्थन करने के आरोप थे.मुत्तक़ी समेत तालिबान के सभी शीर्ष नेताओं को यूएन की 'आतंकवादी सूची' में जोड़ा गया था।