फ़र्ज़ी दस्तावेजों से अध्यापकों की नियुक्ति करने वाले अधिकारियों की जानकारी दो सप्ताह में पेश करे राज्य सरकार-हाई कोर्ट

उत्तराखंड हाइकोर्ट ने प्राइमरी व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजो के आधार पर नियुक्ति पाए करीब साढ़े तीन हज़ार अध्यापकों के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि वे कौन से अधिकारी है जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों को सही बताकर फर्जी शिक्षकों की पुनर्नियुक्ति की है इसका जवाब दो सप्ताह में दें। याचिकर्ता ने कोर्ट को बताया कि कुछ शिक्षको की बीटीसी की डिग्री एसआईटी की जांच में फर्जी पाए गए और उनको बर्खास्त कर दिया गया परन्तु विभागीय जांच में उनकी डीग्री सही पाई गई और उनकी पुनर्नियुक्ति कर दी गयी।
कोर्ट ने इस प्रकरण पर जवाब पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद की तिथि नियत की है। मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य मुख्य न्यायधीश रवि कुमार मलिमथ व न्यायमुर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई।
आपको बता दें कि स्टूडेंट वेलफेयर सोसायटी हल्द्वानी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य के प्राइमरी व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में करीब साढ़े तीन हजार अध्यापक जाली दस्तावेजो के आधार पर फर्जी तरीके से नियुक्त किये गए है जिनमे से कुछ अध्यापको की एसआईटी जाँच की गई जिनमे खचेड़ू सिंह ,ऋषिपाल ,जयपाल के नाम सामने आए परन्तु विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के कारण इनको क्लीन चिट दी गयी और ये अभी भी कार्यरत है। संस्था ने इस प्रकरण की एसआईटी से जाँच करने को कहा है। पूर्व में राज्य सरकार ने अपने शपथपत्र पेश कर कहा था कि इस मामले की एसआईटी जांच चल रही है अभी तक 84 अध्यापक जाली दस्तावेजो के आधार पर फर्जी पाए गए है उन पर विभागीय कार्यवाही चल रही।