हिस्ट्री शीटर विकास दूबे का एनकाउंटर सवालों के घेरे में आपको भी सोचने पर मजबूर कर देंगे ये सवाल

कुख्यात अपराधी विकास दूबे मध्यप्रदेश के बॉर्डर से करीब चार जिलों को पार कर उज्जैन पहुंचा इस बीच विकास कहीं नही पकड़ा गया लेकिन महाकाल मंदिर में खुद को चिल्ला चिल्ला कर विकास दूबे कानपुर वाला हूँ कह कर सरेंडर करवा दिया।आज सुबह कानपुर से महज 30 किमी दूर भौंती में विकास का एनकाउंटर कर दिया गया ,पुलिस की माने तो जिस गाड़ी में विकास था वो गाड़ी पलट गई इसी का फायदा उठाकर विकास ने भागने की कोशिश की और पुलिस ने उसे मार गिराया,उसको 4 गोली लगी थी, 3 गोली सीने में जबकि एक गोली हाथ में लगी थी।
ये पूरी कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नही लग रही क्योंकि इस एनकाउंटर में कई बड़े सवाल खड़े हो गए हैं विकास दूबे जो यूपी में किसी के हाथ नही लगा,और उज्जैन पहुंच गया उसके बाद महाकाल के मंदिर में जाकर मामूली बातों पर झगड़ा कर बैठा विकास चाहता तो अपना नाम गलत भी बता सकता था लेकिन चीख चिल्लाकर अपना नाम बताया यानी ये एक सरेंडर ही था विकास के एक साथी ने ही बताया भी था कि उसे पकड़ने पुलिस आ रही है इसके बावजूद विकास महाकाल मंदिर से फरार नही हुआ फिर भला विकास रास्ते से भागने की कोशिश क्यों करेगा जबकि उसे अच्छी तरह मालूम था कि ऐसे भागने पर उसका एनकाउंटर ही किया जाएगा इस पूरे मामले में खुद पुलिस की भूमिका ही संदिग्ध रही है।सूत्रों की माने तो विकास से जब उज्जैन में पूछताछ की गई थी तब उसने कबूला भी था कि उसकी मदद करने में कई पुलिस चौकियों ने उसका साथ दिया।कानपुर में आठ पुलिस वालो को मौत के घाट उतारने के बाद विकास दूबे आखिर उज्जैन कैसे पहुंच गया ?विकास दूबे यूपी एसटीफ की गाड़ी में बैठा था, लेकिन घटना के कुछ वीडियो सामने आए हैं, जो पुलिस के बयान और वीडियो में दिख रही घटना में विरोधाभास दिखा रहे हैं. एक वीडियो सामने आया है, जो सुबह तकरीबन चार बजे का है, इसमें पुलिस की तीन गाड़ियां एक टोल बूथ से निकलती दिखाई दे रही हैं, इस वीडियो में विकास दुबे जिस कार में बैठा है, वो गाड़ी हादसे में पलटी ही नहीं है, जो गाड़ी पलटी है वो कोई और है, कार की इस अदला-बदली पर फिलहाल पुलिस का कोई बयान नहीं आया है।7 राज्यो की पुलिस विकास दूबे को लेकर अलर्ट मोड पर थी फिर सबकी आंखों में धूल कैसे झोंकी? इतने बड़े हिस्ट्री शीटर के पुलिस ने हाथ क्यों नहीं बांधे , ना ही मोस्ट वांटेड अपराधी होने के बावजूद विकास को पुलिस ने हथकड़ी ही लगाई आखिर क्यों? और सबसे बड़ी बात विकास दूबे के दोनों पैर में रॉड पड़ी हुई थी वह तो लंगड़ाकर चलता था,ऐसे में बड़ी संख्या में हथियारों से लैस पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में विकास भाग कैसे सकता है?मीडिया कर्मियों की गाड़ियों को भी एनकाउंटर वाली जगह से कुछ दूर पहले ही रोक दिया गया ऐसा क्यो किया गया?
विकास ने उज्जैन में पुलिस चौकियों से मदद मिली बात कही तो वो कौन पुलिसकर्मि थे जिन्होंने विकास को भागने में मदद की?विकास गैंगस्टर से नेता बना था और आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी भी कर रहा था तो किस पार्टी से उसे टिकट दिया जा रहा था किन राजनीतिक दलों से उसका संपर्क रहा था?सीओ देवेंद्र मिश्रा के कथित लैटर का सच भी अब तक नही पता चला जो सोशल मीडिया और कई पत्रकारों के हाथ लग गया था जिसमे पुलिस और विकास दूबे के गठजोड़ की बात लिखी हुई थी,लेकिन अब कहा जा रहा है कि वो लैटर तो रिकॉर्ड में ही नही है।विकास दूबे ने आठ पुलिसकर्मियों को मार दिया और सब तमाशा देखते रहे ऐसा कैसे संभव है,तकरीबन 60 मुकदमे विकास दूबे के नाम दर्ज थे इसके बाद भी विकास पुलिस की गिरफ्त में नही आया इसके पीछे क्या वजह थी ऐसे तमाम सवाल विकास दूबे के एनकाउंटर ने खड़े कर दिए।