सोशल मीडिया पर छाए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई,अयोध्या फैसले के बाद बने हनुमान के अवतार

अयोध्या मामले में आये आज के ऐतिहासिक फैसले से चारो ओर जय श्री राम और जय हनुमान के नारे लग रहे हैं, जय श्री राम के नारे तो लगने ही थे पर यहाँ हनुमान का क्या रोल था,जो लोग सोशल मीडिया में उनके भी जयकारे लगा रहे हैं,सब तरफ खंगाला तो पता चला कि हनुमान के किरदार में आज चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कोर्ट में मौजूद थे जिनकी वजह से इतना बड़ा और निष्पक्ष फ़ैसला आया है।अब हर तरह सीजेआई गोगोई को हनुमान का दूसरा रूप माना जा रहा है, सोशल मडिया में लोग जमकर उनकी तारीफों के पुल बांध रहे हैं कोई उनका घर ढूंढ रहा तो कोई उनके नाम को सुनहरे अक्षरों में लिखे जाने की बात बोल रहा है,कुछ लोगो ने तो इतनी जल्दी मेम्स भी बना डाली कि अक्षय कुमार और जॉन अब्राहम अब रंजन गोगोई के किरदार के किये आपस मे लड़ेंगे।एक नए तो सूत्रों के मुताबिक अगली फिल्म में अक्षय कुमार करेंगे रंजन गोगोई का रोल तक लिख डाला।खैर अयोध्या मामला था भी तो बहुत पेचीदा और फैसला भी ऐसा आया है कि हर कोई पांचों जजों की तारीफ कर रहा है।कोर्ट के फैसले के बाद गोगोई रामभक्तों के लिए हनुमान ही बन चुके हैं।
अब आपको बताते है आज के हनुमान यानी सीजेआई रंजन गोगोई के बारे में,,रंजन गोगोई का जन्म 18 नवम्बर 1954 को असम के डिब्रूगढ जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम केशव चंद्र गोगोई और मां का नाम शांति गोगोई था। पिता केशव चंद्र गोगोई भी वकील थे, और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे। वे डिब्रूगढ विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं और कुछ समय के लिए असम के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। 13 जनवरी 1982 से 19 मार्च 1982 तक (कुल 66 दिनों तक) उनका कार्यकाल रहा था।जस्टिस रंजन गोगोई के बडे भाई अंजन कुमार गोगोई भारतीय वायुसेना में एयरमार्शल रहे हैं। इनकी एक संतान है, जिसका नाम रक्तिम गोगोई है। रक्तिम गोगोई भी वकालत के पेशे में ही हैं,इन्होंने डिब्रूगढ के डॉन बॉस्को स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली आ गए, यहां दिल्ली यूनिवर्सिटी से संबद्ध सेंट स्टीफेंस कॉलेज में पढाई की, 1978 में रंजन गोगोई ने वकालत के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया और गुवाहाटी हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे,28 फरवरी, 2001 को रंजन गोगोई को गुवाहाटी हाईकोर्ट में स्थायी जज बना दिया गया, गुवाहाटी हाई कोर्ट में जज के रूप में , लगभग 10 साल काम करने के बाद 9 सितंबर, 2010 को इनका ट्रांसफर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में कर दिया गया, 12 फरवरी, 2011 को ही इन्हें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया, लगभग 1 साल बाद 23 अप्रैल, 2012 को इन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बना दिया गया,3 अक्टूबर 2018 को इन्होंने सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश का पद ग्रहण किया। इन्होंने दीपक मिश्रा का स्थान लिया, जोकि 2 अक्टूबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पद से सेवानिवृत्त हुए। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। वे पूर्वोत्तर के किसी राज्य से इस शीर्ष पद पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति हैं।
जस्टिस गोगोई का नाम उस समय देश भर में चर्चा में आया था जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य वरिष्ठतम जजों के साथ प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की थी,उस प्रेस कांफ्रेंस में खास पीठों को मामलों के आवंटन पर तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के रवैये की आलोचना की गई थी। भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था,जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के उन 11 जजों में शामिल थे, जिन्होंने अपनी संपत्ति भी सार्वजनिक की थी।पिछले कई सालों से रामलला विराजमान के मामले पर लगातार सुनवाई करने रंजन गोगोई आज देश के सबसे चहते जज बन गए हैं।उन्हें फॉलो करने वालो की गिनती महज कुछ ही घंटों में गुणात्मक तरीके से बढ़ती ही जा रही है।
इससे पहले भी लोग तब असमंजस में पड़ गए थे कि क्या वास्तव में हनुमान किसी न किसी रूप में जिंदा है जब 1 फरवरी 1986 को जब फैजाबाद की अदालत ने इमारत का ताला खोलने का आदेश दिया तो उसके पीछे भी किसी काले बंदर की प्रेरणा सामने आई थी। फैसला देने वाले जज कृष्णमोहन पांडेय ने अपनी आत्मकथा में लिखा है, “जिस रोज मैं ताला खोलने का आदेश लिख रहा था, मेरी अदालत की छत पर एक काला बंदर पूरे दिन फ्लैग पोस्ट को पकड़कर बैठा रहा। जो फैसला सुनने अदालत में आए थे, उस बंदर को फल और मूॅंगफली देते रहे पर बंदर ने कुछ नहीं खाया। चुपचाप बैठा रहा। फैसले के बाद जब मैं घर पहुॅंचा तो उस बंदर को अपने बरामदे में बैठा पाया। मुझे आश्चर्य हुआ। मैंने उसे प्रणाम किया। वह कोई दैवीय ताकत थी।”