सरकार सिर्फ अंधी ही नहीं बहरी भी,आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है उत्तराखंड के पहाड़

डबल इंजन की सरकार रही हो या सिंगल इंजन की, पहाड़ो के गांव की जिन्दगी आज भी बदहाली की मार झेल रही है।गांव वालों का दर्द ना तो सरकार को दिखता है, ना गांव वालों के दर्द की आवाज़ ही सरकार को सुनाई देती है।पक्की सड़क ना होने से जिस मुश्किल का सामना इन गांव वालों को करना पड़ता है ,उसका तिल बराबर भी सरकार चलाने वाले नुमाइन्दे नहीं झेल सकते। आज नैनीताल के भीमताल ओखल कांडा के गांव कूकना में 21 वर्षीय हंसा देउपा पेड़ पर चढ़कर चारा काट रही थी, अचानक पैर फिसलने से हंसा पेड़ से गिर गयी? जिससे उसकी कमर में गहरी चोट लग गयी।सड़क ना होने से गांव वाले हंसा को एक डोली में बैठाकर पन्द्रह किमी दूर तक पैदल चलकर देवली गांव तक पहुंचाया ,जहां से हंसा के लिये प्राइवेट टैक्सी कर उसे हल्द्वानी सुशीला तिवारी अस्पताल ले जाया गया।108 की हड़ताल  की हड़ताल के चलते देवली से सरकारी वाहन भी उपलब्ध नहीं हो पाया।

ग्रामीणों ने शासन प्रशासन पर आरोप लगाया कि गांव वासी कई सालों से सड़क की मांग कर रहे हैं ,पर आजतक कोई सुध लेने भी नहीं आया।2014 में गांव वालों ने मिलकर चुनाव का बहिष्कार भी किया था ,लेकिन तब भी सड़क नहीं बनी।वहीं सड़क बनाने का आश्वासन विधायक राम सिंह कैड़ा कई बार दे चुके हैं ,पर उनके आश्वासन भी खोकले ही साबित हुये।

सरकार लाख अपनी उपलब्धियां गिना ले पर धरातल पर अगर सरकार के काम देखने हो तो शहरों में नही बल्कि इन गांवों में जाकर देखो कि सरकार की उपेक्षा से गांव में कितना आक्रोश भरा पड़ा है।पर महंगी कुर्सी पर बैठे सत्ता के लालचियों को अपना ऐशो आराम दिखता हैं इन गांव   वालों का दर्द नहीं।