संशोधन की जरूरत कहीं कांग्रेस के घोषणा पत्र को तो नहीं?

अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना या कुल्हाड़ी पर पैर मारना ये तो कांग्रेस को तब पता चलेगा जब चुनाव निबट जायेंगे और रिजल्ट आ जायेगा।कांग्रेस के घोषणा पत्र से इतना बवाल आखिर मचा क्यों है जो कांग्रेस के चुनाव जीतने पर ही सवालिया निशान लग गये? कांग्रेस का घोषणा पत्र वैसे तो है पुराना ही पर एक दो वादे इस बार कांग्रेस ने ऐसे कर दिये जिससे जनता भड़क उठी है। क्या हैं ये बवाल मचा देनी वाली घोषणायें आइये जानते हैं।

कांग्रेस ने घोषणा पत्र जारी कर दो बवाली वादे जो किये उनमे अफस्पा कानून में संशोधन और दूसरा भारतीय दंड संहिता की धारा 124A को खत्म कर देना है।धारा 124A के बारे में हम पहले भी बता चुके है कि ये राजद्रोह के लिये बनाया हुआ कानून है,जिसमें अगर व्यक्ति सरकार के खिलाफ हिंसा और भड़काऊ बातें करे या देश की अखंडता और एकता को कोई नुकसान पहुंचाये या राष्ट्रीय चिन्हों का और संविधान का अपमान करे तो उस पर ये धारा लागू होती है।जेएनयू के कन्हैया कुमार और उमर खालिद पर 124A के तहत ही देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है, उन दोनो पर सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काने का आरोप लगा हुआ है। 


कांग्रेस घोषणा पत्र।

अब डिटेल में बात करते हैं अफस्पा की जिसका संशोधन या इसे खत्म करना कितना नुकसान दायक है।

अफस्पा के बारे में पहले हम केवल इतना बता दें कि ये कानून जिन्दगी को ज्यादा नुकसान पहुंचाये बिना आतंकवाद को रोकने में मदद करता है या यूं समझ लो कि आतंकवाद से लड़ने के लिये अफस्पा एक कवच की तरह है।

45 साल पहले भारतीय संसद ने अफस्पा 1958 में लागू किया था ये एक फौजी कानून है और ऐसी जगह पर लागू किया जाता है जहां आतंकवाद की घटनायें होती हों या जो स्थान हिंसा की वजह से अशान्त हो।एक बार अगर 'डिस्टर्ब'/ 'अशान्त' क्षेत्र घोषित होने पर अफस्पा लग जाये तो कम से कम तीन महीने तक वहां पर स्पेशल फोर्स तैनात की जाती है।कोई भी व्यक्ति अशांति फैलाता है या कानून तोड़कर हिंसा करता है, तो स्पेशल फोर्स अपने बल का प्रयोग कर सकती है जहां हथियारो के जखिरे की आशंका हो उसे नष्ट करने का अधिकार स्पेशल फोर्स को होता है।संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी वाॅरंट के गिरफ्तार करने का अधिकार होता है।किसी भी वाहन जिस पर शक हो या गैर कानूनी ढंग से जहाज इत्यादि पर हथियार ले जाने पर तलाशी लेने का अधिकार होता है।

देश की सुरक्षा का अधिकार और अफस्पा दोनों ही एक दूसरे का पर्याय हैं।इसमें केवल केन्द्र सरकार ही हस्तक्षेप कर सकती है।अफस्पा कानून की आलोचनायें भी खूब हुई है क्योंकि कुछ लोगों का मानना है कि इस कानून के अधिकार के चलते अधिकारी कभी भी बिना तथ्य जाने गोलीबारी कर सकता है इसलिये कुछ लोग इस कानून को बेरहम कानून भी बोलते हैं, लेकिन बिना तथ्य जाने गोली बारी की भी समीक्षा की जा सकती है जो केन्द्र सरकार के हाथों में है। 

अफस्पा कानून सुरक्षा बलों और सेना को कुछ विशेष अधिकार देता है। 45 साल पहले 1 सितम्बर को अफस्पा असम,मिजोरम,त्रिपुरा,मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश,मेघालय और नागालैंड सहित भारत के उत्तर पूर्व में लागू किया गया था।अफस्पा कानून लागू किये गये स्थानों को सात बहनों के नाम से भी जाना जाता है, जहां हिंसा रोकने के लिये अफस्पा लागू किया गया था।1990 में अफस्पा कश्मीर में लागू किया गया और तब से आज तक ये कानून वहां लगा हुआ है।

गौर करने वाली बात ये है कि कश्मीर में अफस्पा लगे होने के बाद भी भारतीय सेना पर( so called) भटके हुये नौजवान पथराव करने से बाज नहीं आते ऐसे मे अगर ये कानून हट जाता है तो सरेआम भारतीय सेना पर पथराव ही नहीं बल्कि और भी ज्यादा घातक हमले होने की आशंका बढ़ जायेगी। या यूं कह लो भारतीय सेना केवल नाम की रह जायेगी।मतलब आपके पास हथियार भी होंगे ताकत भी होगी पर आप स्टैच्यू की तरह खड़े होकर मार ही खाओगे।

अब कांग्रेस के घोषणा पत्र में किये गये इन दो वादों से  बीजेपी तो नाराज है ही साथ ही भारतीय सेना भी खासी नाराज है, सेना इन कानूनों के हटने से खुद को कमजोर महसूस करेगी।देश में कांग्रेस के मेनोफिस्टो को लेकर हो हल्ला मचा हुआ है। इस वक्त देश के अंदर जो हालात चल रहें हैं, उसे देखकर यही लगता है कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में जो ये दो वादे किये गये हैं इसका खामियाजा कांग्रेस को कहीं आगामी लोकसभा चुनाव में ना भुगतना पड़े।कहीं

संशोधन की जरूरत कांग्रेस के मेनोफिस्टो को तो नहीं है?