लॉक डाउन से पर्यावरण हुआ साफ सुथरा,धरती खुल कर ले रही है सांस।

लॉक डाउन का देशभर में क्या असर हुआ ये अलग मुद्दा है लेकिन एक बात जो बहुत महत्वपूर्ण है वो ये कि कोरोना वायरस से बचने के लिए देश मे लगाया गया लॉक डाउन के बाद जब लोगों ने घरों से निकलना कम किया है तो उससे मौसम में खासा बदलाव देखने को मिल रहा है। सुबह से आसमान नीला और शाम होते ही हवा में ठण्डक महसूस होने लगी है।मार्च के अंत तक दिल्ली धुन्दला होने लगता था,और मई जून में दूर से तो इंडिया गेट भी बमुश्किल ही दिखाई देता था,लेकिन लॉक डाउन की वजह से करोड़ो लोग घर पर हैं,सड़कों में बेहताशा सरपट दौड़ती और धुंआ उड़ाती गाड़िया नज़र नही आ रही हैं,तमाम फैक्ट्रियां बन्द है जिनकी चिमनियों से लगातार धुंआ निकलता रहता था।लॉक डाउन का सबसे अच्छा असर मौसम और पर्यावरण पर पड़ रहा है। इन पुरानी तस्वीरों में देखे दिल्ली में स्मॉग की वजह से कितना बुरा हाल था।
कोरोना वायरस ने जहां एक ओर जन मानस को परेशान करने की कोशिश की है और कई लोगों ने अपनी जान भी गवां दी है। जिसको लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को 21 दिनों के लिए लॉक डाउन करने का आदेश दिया है और जनता से अपील की है कि वह घरों में ही रहें जरूरत न हो तो घर से न निकलने। यह निर्णय सोशल डिस्टेंसिंग बनाने के लिए लिया गया है। 21 दिनों के लॉक डाउन से पहले भी जनता कर्फ्यू हो चुका है जिससे लगभग चार से पांच दिनों से देश में लोगों का घरों से निकलना कम हो रहा है। वहीं लॉक डाउन के बाद लाखों की संख्या में सड़कों पर चलने वाले वाहनों का अचानक रुक जाना प्रदूषण को कम करने में अलग भूमिका निभा रहा है।आसामन इतना नीला और साफ सुथरा शायद बरसो पहले ही दिखाई देता था ।
लॉक डाउन का पूरा फायदा आज पृथ्वी को मिल रहा है यहां हम मानवजाति की बात नही कर रहे क्योंकि पर्यावरण को नुकसान तो आखिर मानव ने ही पहुंचाया है,आज मानव खुद घर के अंदर कैद है और धरती खुल कर सांस ले रही है।गर्मियों के मौसम में शाम को भी गर्म हवा के चलते छतों पर जाना दुस्वार रहता था और अब शाम को भी ठंडक का एहसास हो रहा है। लगातार बढ़ते वाहनों और फैक्ट्रियों से जहां लगातार ग्लोबल वार्मिंग के चलते प्रदूषण से मौसम बेहाल हो गया था तो वहीं इस लॉक डाउन से सब सही हो रहा है। कोरोना वायरस तो एक ना एक दिन खत्म हो ही जायेगा लेकिन मानवजाति के अंदर प्रकृति को नुकसान पहुंचाने वाला वायरस भी काश खत्म हो जाता।साल में कम से कम 7 दिन तो हमे इस धरती,प्रकृति,और आसपास के वातावरण को भी देने चाहिए ताकि पर्यावरण प्रदूषित ना हो। हर साल एक हफ्ता पर्यावरण के नाम पर भी लॉक डाउन होना चाहिए।