मोदी के स्वच्छ भारत मिशन की उड़ रही धज्जियां

आजकल देश के चुनिंदा शहरों में सफाई का खेल चल रहा है।सबसे स्वच्छ शहर यानी स्वच्छता सर्वेक्षण की परीक्षा राष्ट्रीय उत्सव का रूप धारण कर चुकी है।अपने शहर में भी यह ‘उत्सव’ जोरों से मनाया जा रहा।उत्सव मनाने के लिए नगर निगम बीते चार माह से सफाई का ढिंढोरा पीट रहा।चार माह चली तैयारी के बाद अब परीक्षा की घड़ी आ गई है।इसके लिए महकमा तैयार भी है व निश्चित भी। उन्हें पता है कि जो परीक्षक आ रहे हैं,वह पहले कागज में दर्ज रिकार्ड में सफाई देखेंगे।इसके बाद परीक्षकों की टीम सड़कों पर सैर को जाएगी जो आजकल सामान्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा साफ-सुथरी ही नजर आती हैं।मुख्य सड़क पर रखे डस्टबिन पेंट किए जा रहे, दीवारों पर कलाकृति एवं रंग-रोगन भी कराए जा रहे।खैर परीक्षा में अव्वल तो वही शहर होगा जिसने परीक्षकों का पूरा ख्याल रखा होगा।इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि अतिक्रमण होना भले कोई मुद्दा नहीं है,लेकिन अतिक्रमण हटाना आज शहर का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है।‘सुंदर दून-स्वच्छ’ दून की तस्वीर आज अतिक्रमण ने बिगाड़ कर रख दी है।अतिक्रमण हटाने को लेकर प्रशासन की उदासीनता को लेकर उसकी कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।लेकिन इनका  खामियाजा आम लोगों को भी भुगतना पड़ रहा।अतिक्रमण के कारण सिकुड़ती सड़कों पर लोग रोज जाम के झाम से जूझ रहे हैं।अतिक्रमण हटाने को लेकर कभी-कभी जिम्मेदार विभाग खानापूर्ति के लिए अभियान चलाते हैं,लेकिन हकीकत यह है कि सड़कों और फुटपाथ से आगे-आगे अतिक्रमण हटाया जाता है वहीं पीछे-पीछे फिर अतिक्रमण सज जाता है।अब एक बार फिर जिले के हाकिम सी.रविशंकर ने शहर में जंजाल बने अतिक्रमण हटाने की बात कही है लेकिन यह अभियान अंजाम तक पहुंचेगा या खानापूर्ति साबित होगा यह समय ही बताएगा।