मैथ्स का अल्टरनेटिव अबेकस

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ऐसी बड़ी बड़ी और मुश्किल कैलकुलेशन आपको हल करने को दी जाये पर ना तो पेपर ना पेन ,और ना ही कोई कैलक्यूलेटर आपके पास हो तब क्या आप इस तरह की कैलकुलेशन को झट से बता पायेंगें?जवाब ना ही होगा और अगर जवाब हां भी हो तो उसके लिये आपका आई क्यू लेवल बहुत अच्छा होना चाहिये जो कि आम तौर पर करोड़ो लोगों में एक का होता है।लेकिन ऐसी एक कला है जो आपको मुश्किल से मुश्किल गणित के सवालों को हल करना सिखा सकती वो है अबेकस।आंख बंद और सवाल हल !गजब की तकनीक है अबेकस जिससे जोड़, घटाना ,गुणा ,भाग के कितने कठीन से कठीन सवाल आप पलक झपकते ही किसी जादूगर की तरह सौल्व कर सकते हो।ये जादू है क्या आइये जानते है। 

 अबेकस एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ "टेबल" या "टेबलेट"होता है अबेकस एक ऐसी कला है जिसमें आपको गणित के सवालों को हल करने के लिये किसी कागज या पेन,पेन्सिल की जरूरत नहीं पड़ती। हिन्दी में अबेकस को गिनतारा कहा जाता है अगर अबेकस को गणित(मैथ)का अल्टरनेटीव कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।अबेकस का अविष्कार आज से लगभग 5000 साल पहले ही चीन में हो गया था।ये कला प्राचीन काल में बेसिक अर्थमेटिक सिस्टम में नम्बर की गणना के लिये प्रयोग में लाई जाती थी।अबेकस सीखने से पहले ये समझना जरुरी हैं कि अबेकस के उपकरण एक नहीं बल्कि बहुत प्रकार के होते हैं, जैसे कि क्लासिकल एबेकस, चाइनीज अबेकस जिसमें बॉटम में 5 बीड्स और टॉप में 2 बीडस होते हैं।आधुनिक अबेकस, जापानी अबेकस, सोरो बन में 4 बीडस बॉटम में होते हैं जबकि 1 बीड टॉप में होता हैं।गणित की इस प्रणाली का उपयोग छोटे बच्चो की शिक्षा में करने से समाज को बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।अबेकस की विश्व भर में प्रसिद्धि का कारण ये हैं कि अबेकस विकसित होते बच्चों में दिमाग डेवलपमेंट और गणित को उनके लिए सरल बनाने का आसान और प्रभावशाली तरीका हैं,अबेकस प्रणाली से बच्चों में कैलकुलेशन की स्पीड बढ़ जाती हैं, शुरू में वो एबेकस के उपकरण की मदद लेते हैं, फिर उन्हें उसकी जरूरत नहीं रहती, वो उपकरण को इमेजिन करते हुए ही जटिल से जटिल गणनाएं बिना कंप्यूटर या कैलक्यूलेटर के कर लेते हैं।



अबेकस पूरी दुनिया में इतना मशहूर हो गया कि पिछले कुछ दशकों में अबेकस को लगभग हर देश में ब्रेन डेवलपमेंट के टूल के रूप में काम में लिया जा रहा है अबेकस को प्राइमरी कांउटिंग डिवाइस के लिये भी यूज किया जाता है अबेकस बच्चों के मानसिक विकास के लिये बहुत महत्वपूर्ण है भारत में बड़े बड़े शहरों जैसे दिल्ली,मुंबई ,लखनऊ इत्यादि में हर स्कूल में अबेकस क्लास कम्पलसरी सब्जैक्ट कर दिया गया है।यहां तक लोग अपने बच्चों को प्राईवेट इंस्टिट्यूट में भी सिर्फ अबेकस सिखाने भेज रहें हैं।

        नैनीताल एजूकेशन हब भी है और साथ ही साथ टूरिस्ट प्लेस भी। यहां की पढ़ाई पूरे भारत में फेमस है कम्पटीशन के इस दौर में जहां हर स्कूल बेहतर से बेहतर बन नम्बर वन की दौड़ में शामिल होना चाहता है तो वहीं अबेकस नैनीताल में केवल लौंग व्यू पब्लिक स्कूल में कक्षा पांच तक अनिवार्य सब्जैक्ट के रूप में पढ़ाया जा रहा है।पहले ये सब्जैक्ट ऑल सेन्ट्स और सेन्ट मैरी काॅन्वेंट स्कूलों में भी पढ़ाया जाता था पर एक दो साल में वहां किसी कारणवश अबेकस बंद कर दिया गया।जागरूकता की कमी है या अबेकस के लिये टीचर उपलब्ध नही है ये कहना मुश्किल है पर जो सब्जैक्ट आज दुनिया भर में पढ़ाया जा रहा है वो नैनीताल जैसे एजुकेशन हब में एक ही स्कूल में पढ़ाया जा रहा है।



भुवन त्रिपाठी प्रिंसिपल(लौंगव्यू पब्लिक स्कूल)

    लौंगव्यू  पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल भुवन त्रिपाठी का कहना है कि बच्चों के मैथ्स स्किल डेवलपमेंट को समझते हुये हमने अपने स्कूल में अबेकस सब्जैक्ट क्लास 5 तक कम्पलसरी किया हुआ है इससे यहां पढ़ने वाले विद्यार्थी फास्ट कैलकूलेशन को कम्प्यूटर और कैलकूलेटर की तरह ही सौल्व कर लेते हैं।इसका सबसे बड़ा फायदा जनरल मैथ में भी बच्चों को मिलता है।अबेकस के लिये जागरुकता का होना जरूरी है आज इसकी अहमियत क्या है हम खुद तब समझते हैं जब अपने स्कूल के विद्यार्थियों को इमेजिनेशन करते हुये बड़े बड़े कैलकूलेशन करते हुये देखते हैं।


प्रियंका वर्मा अबेकस टीचर क्लास रूम में स्टूडेंड्स के साथ।

    अबेकस की अध्यापिका प्रिंयका वर्मा का कहना है कि मुझे खुशी है कि नैनीताल में L.P.S में अबेकस की इमपोर्टेन्स को समझते हुये छोटे क्लासेस में कम्पलसरी किया है पर साथ ही अफसोस भी है कि बाकि और स्कूलों में अबेकस नहीं पढ़ाया जाता।आज जहां सारी दुनिया अबेकस से मिलने वाले फायदे को समझ रही है वहीं नैनीताल में अब भी अबेकस की महत्ता को नहीं समझा जा रहा इसके  लिये सरकार को ही कोई कदम उठाना चाहिये।

अबेकस सही मायनो में आज मैथ्स का अल्टरनेट बन गया है इससे बच्चों मे मैथ्स का डर बिल्कुल नहीं रहता बल्कि एक खेल और मनोरंजन के तौर पर बच्चे आसानी से अबेकस को सीख भी जाते हैं और हजारों की गणना चुटकी में कर लेते हैं।