मूलभूत आवश्यकताएं ही पूरी नही कर पा रही डबल इंजन की सरकार और बात करते है स्मार्ट सिटी की

आम नागरिक की अहमियत सिर्फ चुनावी मौसम में ही होती है वरना आम नागरिक की परेशानिया बड़े बड़े वादे करने वाले नेताओं की ठेंगे पर।उत्तराखंड राज्य की परिकल्पना यहां के विकास के मुद्दे को लेकर की गई थी लेकिन राज्य बनने के वर्षों बाद भी आज उत्तराखंड की जनता मूलभूत आवश्यकताओं से अछूती है। नैनीताल के एक पहाड़ी क्षेत्र में ऐसा ही कुछ नजारा देखने को मिला ,जहां महज मामूली सी चोट में मरहम पट्टी करवाने के लिए जान हथेली पर लेकर जंगली जानवरों और पहाड़ी रास्तों से होकर मुख्य मार्ग तक पहुंचाने के लिए एक वृद्ध महिला को कुर्सी में बांध कर घंटों की मशक्कत के बाद अस्पताल पहुंचाया गया,यहीआज की सबसे बड़ी और कड़वी सच्चाई है जो उत्तराखंड की कुर्सी को संभाले हुए हमारे सीएम के मुंह पर ज़ोरदार तमाचा है,उत्तराखंड के विकास की बात करने वाली सरकार गांवों तक पक्की सड़क नही बना पाई ।
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में अस्पताल और स्वास्थ्य सेवाएं कितनी बेहतर हैं इसका जीता जागता नमूना आज देखने को मिला जब नैनीताल के भीमताल ब्लॉक के भदयूनी गांव की 85 साल की महिला को ग्रामीण उनके क्षेत्र में सड़क और अस्पताल की सुविधा ना होने की वजह से कुर्सी में बांध कर घंटों पैदल चलकर भुजिया घाट क्षेत्र में लाए जिसके बाद बुजुर्ग महिला को हल्द्वानी अस्पताल ले जाया जा सका, जिस वृद्ध महिला को लोग कुर्सी के सहारे अस्पताल पहुंचा रहे हैं उस वृद्ध महिला के पांव में चोट लगी थी लेकिन उनके गाव में अस्पताल न होने की वजह से इस छोटी सी चोट को ठीक करवाने के लिए कड़ी मशक्कत के बाद अस्पतला पहुचाया जा सका।ग्रामीण लंबे समय से शासन प्रशासन से अपने गांव में सड़क और अस्पताल की मांग कर रहे हैं ताकि ऐसी विषम परिस्थितियों में ग्रामीणों को राहत मिल सके लेकिन आज तक ग्रामीणों की सुध किसी ने नहीं ली।
उत्तराखंड प्रदेश में सरकार चाहे बीजेपी की रही हो या कांग्रेस की लेकिन धरातल का सच यह है कि उत्तराखंड प्रदेश के निवासी अभी तक अच्छी स्वास्थ्य सेवा से वंचित है । और ऐसा तब है जब डबल इंजन और जीरो टॉलरेंस का दम्भ भरने वाली त्रिवेंद्र सरकार राज्य की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति भी नही करवा पा रही है ।आगामी चुनावों में नेता जी वोट मांगने जब इन्ही सड़को से जाएँ तो ध्यान रखिएगा नही तो ये जनता औंधे मुंह गिराना भी जानती है।