भगवान् भोलेनाथ के जलाभिषेक के साथ पूरी हुयी शिवभक्तों की मनोकामना

बम बम भोले जय भोलेनाथ जय शिवशंकर जैसे नारों से हरिद्वार का हर शिवालय गूँज रहा है मगर शिव शंकर की ससुराल दक्षप्रजापति महादेव का नजारा ही देखने वाला है दक्ष पर रात्रि से ही भक्तो का सैलाव उमड़ने लगा था और यहाँ पर लम्बी लम्बी कतारे लग गयी  थी भोले का हर भक्त सबसे पहले भोले का जलाभिषेक कर भोले को खुश करने का प्रयास करने में लगा था और अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा था बड़े बुजुर्ग ,महिला ,बच्चे सभी शंकर को मनाने और राजी कर अपनी मनोकामनाए पूरी करने के लिए यहाँ पर पहुचे हुए है यह मान्यता है की सावन के एक माह शिव अपनी ससुराल कनखल स्थित दक्ष प्रजापति में ही रहते है और इस दौरान जो भी यहाँ पर भोलेनाथ की पूजा अर्चना करता है उसकी सभी मनोकामनाए पूरी होती है। यही हल हरिद्वार के हर महादेव मंदिर का है वहा पर भी शिवभक्तों की कतार टूटने का नाम नहीं ले रही है।

भोले के भक्तो में भगवान शंकर का जलाभिषेक करने की इतनी ललक है की वे रात से ही दक्ष प्रजापति महादेव  पहुच गए थे|हालाकि तब मंदिर  के कपाट  बंद थे मगर इससे उनके उत्साह में कोई कमी नहीं आई और वे सभी लाइन लगाकर मंदिर खुलने का इंतजार करने लगे  और जब दक्ष मंदिर के कपट खुले तो इनका उत्साह देखने लायक ही था |भक्तो की माने तो सावन में भगवान शंकर कनखल में ही विराजते है और इस दौरान भगवान शंकर का जलाभिषेक करने वाले की सभी कामनाये पूरी हो जाती है |शिव भक्तों का मानना है कि शिवरात्रि पर दक्ष प्रजापति महादेव मंदिर में भोले नाथ का विधिविधान ने अभिषेक किया जाये तो सभी कामनाये  पूरी हो  जाती है| मंदिर में सुबह से लगी भक्तों की लाइन निरंतर बड़ती ही जा रही  थी। 

ऐसी  मान्यता है  कि सावन  मास में ही माता पार्वती ने भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए तपस्या कि थी और सावन   मास में भोलेनाथ अपनी ससुराल कनखल यानि दक्ष प्रजापति महादेव मंदिर में रहते है और यदि इस माह कोई भी भगवान का जलाभिषेक या पूजा करता है तो उसकीसभी कामनाये पूरी हो जाती है और  सावन में भोलेनाथ का अभिषेक करने का विशेष महत्व है ऐसी मान्यता है की यही दक्ष प्रजापति महादेव शक्ति पीठ का उदगम स्थल भी है

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गुरु पूर्णिमा से शुरू हुई कावड़ यात्रा आज भगवान् भोले के जलाभिषेक के साथ संपन्न हो गयी भोले के भक्त मनोकामना पूरी होने पर  अगले वर्ष दोबारा जल चढाने का संकल्प लेकर अपने अपने घरों को लौट गए, हालाकि सावन का मेला अभी जारी रहेगा।