बाबा विश्वनाथ की 20वीं डोली रथ यात्रा निकली नैनीताल से

उत्तराखंड को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता है इसके पिछे उत्तराखंड की देव संस्कृति छिपी हुई है।हिन्दू धर्म के चार धाम विश्वप्रसिद्ध हैं, पर उत्तराखंड में हजारों धाम ऐसे हैं जो अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण हैं।उत्तराखंड की संस्कृति से जुड़ी हुई एक पारम्परिक प्रथा का आगाज़ आज नैनीताल से शुरू हुआ।बाबा विश्वनाथ की 20वीं डोली रथ यात्रा आज देर शाम नैनीताल स्थित मां नैना देवी प्रांगण में पहुंची जहां बाबा विश्वनाथ की डोली का स्वागत बड़ी ही धूमधाम और पारम्परिक तरीके से किया गया। ये रथ यात्रा उत्तराखंड के तेरह जनपदों की यात्रा के लिये निकाली गयी है।इस रथ यात्रा का आगाज़ नैनीताल से शुरू हो रानीखेत ,कैंची धाम और भवाली होते हुये नैनीताल पहुंची जिसके बाद डोली हल्द्वानी विश्राम करेगी 12 जून को गंगा दशहरे के दिन गंगा स्नान कर यात्रा का समापन होगा।इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य विश्व में शांति कायम हो और देव संस्कृति की रक्षा हो साथ ही हमारे चारो धामों सहित बाकी उत्तराखंड के अन्य धामों के विकास के रथ का पहिया भी आगे बढ़े।इस यात्रा का मूल संकल्प हमारे खेत खलियान जो बंजर पड़े हैं उनको आबाद करना है ताकी उत्तराखंड के उजाड़ गांवों को बचाया जा सके,साथ ही पहाड़ों से पलायन को रोका जा सके।