प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा रामभरोसे

प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा रामभरोसे चल रही है।शिक्षा विभाग के सर्वे में जुटाए गए आंकड़े यही बयां कर रहे हैं।शून्य छात्रसंख्या वाले विद्यालय तो प्राथमिक शिक्षा के सामने चुनौती बनकर खड़े ही हैं, अध्यापक विहीन विद्यालयों ने तो व्यवस्था पर ही सवालिया निशान लगा दिए हैं। हालात यह हैं कि प्रदेश के 178 प्राथमिक विद्यालयों में एक भी शिक्षक नहीं हैं। राज्य के 13 जिलों में देहरादून जिले को छोड़कर एक भी जिला ऐसा नहीं है, जहां शिक्षक पर्याप्त संख्या में हों। ऐसे मे सवाल उठता है कि बगैर शिक्षक के विद्यालयों में पढ़ाई से लेकर अन्य व्यवस्थाएं किस तरह संचालित हो रही होंगी।

विभाग के आंकड़ो के मुताबिक प्राथमिक शिक्षकों के 2846 पद रिक्त हैं। इनमें सिर्फ देहरादून ही ऐसा जिला है, जिसमें तय संख्या से 41 शिक्षक ज्यादा हैं।शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के गृह जिले ऊधमसिंह नगर में 108 पद खाली हैं, जबकि 413 शिक्षकों की कमी बनी हुई है, ज्यादा छात्र संख्या वाले स्कूलों में भी पर्याप्त संख्या में शिक्षक नहीं हैं। शिक्षक विहीन विद्यालयों में बागेश्वर जिले के तीन ब्लाकों बागेश्वर, कपकोट व गरुड़ में क्रमश: 13,11, व 6 विद्यालय एक अदद शिक्षक को तरस रहे हैं।

अल्मोड़ा जिले में सर्वाधिक 34 विद्यालयों को शिक्षक का इंतजार है। ताकुला ब्लॉक में तो आठ विद्यालयों और लमगड़ा ब्लॉक के सात विद्यालयों में एक भी शिक्षक नहीं है। चमोली जिले में 16 शिक्षक विहीन विद्यालयों में गैरसैंण ब्लॉक में ही चार विद्यालय हैं,जबकि यह क्षेत्र राज्य आंदोलन की जनभावनाओं से जुड़ा हैं।शिक्षक विहीन विद्यालयों में पौड़ी जिले की स्थिति कुछ हद तक ठीक है, जिले में सिर्फ पांच विद्यालय शून्य शिक्षक वाले हैं।ड्रैस कोड़, बायोमैट्रिक उपस्थिति, एनसीआरटी बुक्स,तबादला नीति लागू करने वाला शिक्षा विभाग प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति भी कर देता तो कम से कम नौनिहालों का भविष्य के तो खराब नहीं होता।