पलायन की चपेट में आने से बच नही पाया राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का पैतृक गांव

पौड़ी जिले में तेज़ी से अपने पांव पसार रहे पलायन की जद में अब भारत के राष्टीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का पैतृक गांव घीड़ी भी है पलायन के चपेट में आ चुका ये पूरा गांव भी पौड़ी के 300 से अधिक गांव की तरह ही अब पूरी तरह से खाली होने के कगार पर खड़ा है गांव के कई पुस्तैनी मकान धरासाई हो गए हैं जिसमे अजीत डोभाल का पैतृक मकान भी शामिल है जो पूरी तरह से धरासाई और खण्डर हो चुका है यही वजह है कि अजीत डोभाल जब भी गांव में कुलदेवी की पूजा में हिस्सा लेने गांव पहुँचते हैं तो अपना मकान न होने के कारण चन्द घण्टो में ही गांव से निकलना बेहतर समझते हैं मुख्यालय सटे घीड़ी गांव में भी  बेहतर शिक्षा स्वास्थ रोजगार की चाह ने इस गांव को विरानियों में बदलना अब शुरू किया है ये पूरा गांव जो कभी 85 से 100 परिवारों के शोरगुल से चकाचौन्द रहा करता था इसी गांव में अब 15 परिवार भी नही रह गए हैं इन 15 परिवारों में भी अधिकतर असहाय बुजुर्ग कुछ महिलाओ के साथ गिने चुने नौनिहाल ही गांव में रह गए हैं गांव में अधिकतर खेत युवाओ का गांव से रोजगार की तलाश में मुह मोड़ लेने के कारण बंजर भूमि में तब्दील हो चुके हैं गांव में रह रहे गिने चुने परिवार आज भी बेहतर  शिक्षा स्वास्थ और रोजगार की मांग सरकार से उठा रहे हैं ग्रामीणों की माने तो मूलभूत सुविधाओ के अभाव ने भी गांव की चकाचौंद को विरानियो में बदल डाला है मण्डल मुख्यालय से 32 किलोमीटर की दूरी तय कर ग्रामीण इलाज को जिला चिकित्सालय पहुँचते है जबकि स्वास्थ की ये दिक्कत गम्भीर रोग से ग्रस्त और एमरजैंसी के वक्त मरीज की दिक्कतों को और बढ़ा देते है ये गांव आज भी पूरी तरह से पक्की सड़क से नही जुड़ पाया है कुछ ऐसी ही समस्याओ के कारण गांव खाली होने के कगार पर खड़ा है गांव पूरी तरह से खाली हो जाये इससे पहले ग्रामीणों ने गांव तक मूलभूत सुविधा देने की मांग सरकार और राष्टीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से  ग्रामीण ने की है गढ़वाल सासंद की माने तो पलायन के अहम मुद्दों पर वे केंद्र सरकार का ध्यान लाने के प्रयास कर रहे हैं।