नैनीताल से देहरादून तक डेंगू का कहर

प्रदेश में डेंगू का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है,पूरे प्रदेश में डेंगू के 1000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं।राजधानी देहरादून के बाद सबसे अधिक मामले कुमाऊं मण्डल के तराई और भाबर क्षेत्रों में सामने आ रहे हैं।जनपद नैनीताल के महानगर हल्द्वानी मे डेंगू के मरीजों के अलावा वायरल एवं मलेरिया से प्रभावित लोगों की संख्या मे काफी वृद्धि हुई है,हल्द्वानी का सुशीला तिवारी चिकित्सालय तथा बेस चिकित्सालय में बडी संख्या में मरीज भर्ती हैं।डेंगू व अन्य संक्रामक बीमारियों के प्रभावी नियंत्रण कार्यों की समीक्षा मुख्यमंत्री सचिव व कुमाऊं आयुक्त राजीव रौतेला द्वारा उत्तराखण्ड प्रशासन अकादमी के सभागार मे की गई। बैठक में आयुक्त रौतेला ने निर्देश दिये कि विभिन्न प्रचार माध्यमों से जनसाधारण के बीच स्वास्थ विभाग के कर्मचारी जनता को जागरूक करने के लिए पहुचें,इस कार्य में आशाकार्यकत्री एंव एएनएम घर-घर जाकर लोगों से दोतरफा संवाद बनाते हुये डेंगू, मलेरिया तथा वायरल बुखार के लक्षण एवं बचाव की जानकारी दें तथा डेंगू के लार्वा की खोज लोगों के घरों में मौजूद कूलर, पुराने टायर,पानी से भरे गमले में करें तथा उनको मौके पर नष्ट करें।साथ ही उन्होने कहा कि प्रचार के विभिन्न माध्यमों से लोगोे को यह भी बताया जाए कि हर बुखार डेंगू नही होता, एलाइजा परीक्षण के बाद ही डेंगू की पुष्टि होती है,और डेंगू का ईलाज सम्भव है,लोग भ्रांतियों से बचे इसके लिए डेंगू के लक्षण एवं उपचार के सम्बन्ध में लोगों को बताया जाए।उन्होंने नगर निगम के अधिकारियों से कहा कि वह नियमित रूप से प्रभावित क्षेत्रों के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी युद्ध स्तर पर फागिंग कार्य करायें साथ ही प्रत्येक दिन दो बार कूडे को भी उठाने का कार्य किया जाए ताकि अनावश्यक पडे कूडे से लार्वा उत्पन्न ना हो सकें। साथ ही जनपद उधमसिह नगर तथा नैनीताल के चिकित्साधिकारियों से कहा कि वह सक्रिय एवं संजीदा होकर युद्ध स्तर पर कार्य करें।नैनीताल मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.भारती राणा ने बताया कि अब तक 589 लोगों में एलाइजा पॉजिटिव पाये गये हैं,जिनमें से 506 मरीज ठीक होकर अपने घर चले गए हैं।हालांकि सीएमओ ने डेंगू से जिले में कितने लोगों की मौत हो चुकी हैं, इसका उल्लेख नहीं किया।