तीज व्रत के कठोर तप से जब प्रसन्न हुये शिवजी। देवी पार्वती से विवाह का दिया था वरदान
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सावन माह में तीज का त्यौहार ना सिर्फ हरियाली का प्रतीक माना जाता है बल्कि सुहागनों के लिये तीज उनके पति की लम्बी आयु करने और परिवार में खुशहाली लाने का भी त्यौहार माना जाता है। भंयकर तपती गर्मी से जब बारिश की बौछारें राहत देती हैं, और चारों तरफ जब हरियाली छा जाती है ,तब समझो को तीज का मनभावन त्यौहार आने वाला है।तीज के दिन बारिश का होना बहुत ही शुभ माना जाता है।
क्या है तीज का त्यौहार? और हिन्दू धर्म में इस पर्व का क्या महत्व है? ये हम आज आपको बतायेंगे। सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन तीज का त्यौहार मनाया जाता है। इस पर्व का संबन्ध देवी पार्वती और भगवान शिव से है।मान्यता के अनुसार भगवान शिव देवी पार्वती की कठोर अराधना और तप से प्रसन्न हुये थे और देवी पार्वती को अपनी अर्धांग्नी के रूप में स्वीकार किया था। सौ सालों के बाद पार्वती जी का पुनर्मिलन शिवजी के साथ हुआ था।कहते है 108वें जन्म में शिवजी माता पार्वती की कठोर तपस्या से प्रसन्न हुये थे और पार्वती की भक्ति देखकर उन्हे अपनी पत्नी के रूप में शिवजी ने स्वीकार किया था।
माना जाता है कि विवाह के उपरान्त भगवान शिव ने माता पार्वती को अपने पूर्व जन्म की कथा भी सुनाई थी।जिसमें तीज का वर्णन भी शिवजी ने किया था।उस समय माता पार्वती पूर्व जन्म को याद करने में असमर्थ हो गयी तब शिवजी ने उनसे कहा कि हे पार्वती आपने पिछले जन्म में भी मुझे वर के रूप में पाने के लिये कठीन तप किया था अन्न जल सब कुछ त्याग कर केवल हरे पत्तों का भोग लगाया था।हर मौसम की मार आपने सहन की थी। आपका हाल देखकर आपके पिता भी बहुत दुःखी हो गये थे।तब नारद मुनि आपके घर आये और कहा कि मुझे विष्णु जी ने भेजा है वह आपकी कन्या से प्रसन्न हैं और उन्होने विवाह का प्रस्ताव भी भेजा है।आपके पिता पर्वतराज इस प्रस्ताव से खुश हुये लेकिन आप नहीं ।क्योंकि आप मुझे मन ही मन अपना वर मान चुकी थीं।आपने ये बात अपनी एक परम सखी को बताई और उसने आपको एक घने वन में छिपा दिया वंहा रहकर आपने मुझे पाने के लिये कठोर से कठोर तप किया था।आपके पिताजी आपको पूरे संसार में ढूंढ रहे थे और आप एक गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी अराधना में लीन थी। मैंने आपके कठोर तप से प्रसन्न होकर आपकी मनोकामना पूर्ण करने का वचन दिया था।आपके पिता आपको खोजते हुये उस गुफा तक आ पहुंचे तब आपने उन्हे बताया कि मेरा आधा जीवन शिवजी को पति रूप में पाने के लिये तप करने में बिता है।आपकी घोर अराधना को देखकर पर्वतराज भी पिघल गये और उन्होने हमारा विवाह पूरी विधी विधान के साथ करवाया।
शिवजी आगे कहते हैं कि हे पार्वती ! आपने जो कठोर व्रत किया था वैसा व्रत करनी वाली हर स्त्री को मैं मनवांछित फल देता हूं ।तब से ही हिन्दू धर्म में तीज के व्रत रखने की रीत चली आ रही है।
तीज पर हरे रंग का खास महत्व होता है ।महिलायें आज के दिन हरें रंग के वस्त्र और हरी चूड़ियां पहनती हैं।सावन के महिने में प्रकृति का रंग भी हरा होता है चारों ओर हरियाली छायी रहती है इसलिये हरे रंग को खुशी का प्रतीक माना जाता है।
हरे रंग से दिमाग भी शांत रहता है घर मे कलेश नहीं होता। हरे रंग का वैज्ञानिक महत्व भी है ।इस रंग को उर्वरा शक्ति का प्रतीक माना जाता है। हरा रंग प्रजनन क्षमता का भी प्रतीक माना जाता है।हरा रंग आयुर्वेद में स्वास्थ्य वर्धक माना गया है इस रंग को कई तरह की बिमारियों में बेहद उपयोगी माना जाता है।धार्मिक रूप से हरा रंग धारण करने से बुद्ध ग्रह मजबूत होता है।संतान सुख की कामना पूरी होती है।तीज के दिन महिलाये अपने घरों में तरह तरह के पकवान बनाती है और मिठाई के रूप में घेवर खिलाया जाता है।सुहागने आज के दिन अपनी सास,जेठानी, देवर, या नंद को भोजनथाल में सभी पकवान रखकर कर बायने के रूप में देती हैं ताकि आशिर्वाद में उनके पति की उम्र लम्बी हो।