आखिर क्या होगा 29 मार्च के बाद ?
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ब्रेक्जिट वो सियासी दंगल बन गया है जो ब्रिटेन और यूरोप का तलाक 29 मार्च के बाद होना तय कर चुका है।ब्रेक्ज़िट' दो शब्दों 'ब्रिटेन' और 'एक्ज़िट' से मिलकर बना है।ब्रिटेन में रिमेन और एक्जिट के दो गुट बन चुके हैं ब्रिटेन सन् 1973 से यूरोपियन यूनियन का हिस्सा है। जिसमें ब्रिटेन को छोड़कर 27 और यूरोपीय देशो की आर्थिक और राजनीतिक भागीदारी है द्वितीय विश्व युद्ध के बाद1951 में आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिये यूरोपीय संघ का निर्माण हुआ था संघ के निर्माण के पिछे जो सबसे बड़ी सोच थी वो ये के संघ से जुड़े देश आपस मे किसी भी तरह के युद्ध से बचेंगे और एक दूसरे देशों मे बिना रोकटोक बेहिचक आवाजाही कर सकेंगे साथ ही व्यापार को बढ़ावा मिलेगा सो अलग। इसको आप कई देशों के महागठबंधन से बना एक देश अगर कहें तो अतिश्योक्ति नही होगी।ब्रेक्जिट की प्रक्रिया 2019 मार्च से 2020 के दिसम्बर तक चलेगी।आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्रिटेन को यूरोपीय यूनियन से अलग होने पर 39अरब पाउंड का डाईवोर्स बिल का भुगतान करना पड़ेगा ये तो वही बात हुई जैसे तलाक लेने पर पति को पत्नी के लिये भरण पोषण देना पड़ता है बस यहां फर्क इतना है कि ये बिल एक मुश्त में देना होगा।
2016 में एक जनमत संग्रह हुआ जिसमे 51.9% वोटर्स ने यूरोप से अलग होने के पक्ष मे वोट डाला था 48.1 फिसदी लोग बिल्कुल तैयार नही थे कि ब्रिटेन और यूरोप को अलग किया जाये।सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि यूरोपीय संघ की अपनी खुद की संसद है और यूरोपीय संघ की करैन्सी यूरो 19 देश इस्तेमाल करते हैं ऐसे मे अगर ब्रिटेन और यूरोप अलग होते है तो उन 19 देशो के साथ साथ पूरे विश्व में अर्थव्यवस्था में भारी बदलाव आ जायेगा शेयर मार्केट तेज गति से ऊपर नीचे जाने की अपार सम्भावनाये हैं सबसे बुरा असर लेबर मार्केट और करैंसी पर पड़ेगा साथ ही यूरोपीय यूनियन के लोगों और यूरोप मे काम करने वाले ब्रिटेन के लोगों की नौकरी पर बन आयेगी ब्रेक्जिट का असर यूं हुआ कि कई बड़े बैंक लंदन छोड़कर जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर का रूख कर चुके हैं ब्रेक्जिट के लागू होते ही ब्रिटेन में कई सामान मंहगे हो जायेंगे ब्रिटेन अपना कुल निर्यात का आधा यूरोपीय देशों को भी निर्यात करता चला आ रहा है वहीं आयात भी पचास फिसदी की दर से ही करता है।ब्रिटेन भारत के लिये यूरोपीय संघ में शामिल होने का एक जरिया है इसे वाइल्ड कार्ड एन्टरी की तरह आप समझ सकते हैं।ब्रेक्जिट से यूरोपीय संघ के लोगों की ब्रिटेन में आवाजाही पर रोक लगनी शुरू हो जायेगी दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बदलेगी तो दुनिया तो प्रभावित होगी ही।
ब्रेक्जिट ने पूरी दूनिया का ध्यान यूरोपीय संघ और ब्रिटेन पर लगा दिया जैसा कि मैंने आपको पहले भी बताया कि ब्रेक्जिट दो शब्दो से बना हुआ बहुत ही गहरा शब्द है एक ब्रिटेन और दूसरा ऐक्जिट। इसी को लेकर गुट भी दो बन गये एक रिमेन यानी कि "बने रहे जो" दूसरा लीव यानी "छोड़ दे जो"।ब्रिटेन में यूरोपियन यूनियन से नाता तोड़ने के पक्षधर वालो का मानना है कि ब्रिटेन की अपनी पहचान अपनी आजादी और अपनी संस्कृति खोती जा रही है जिसको बनाये रखने के लिये ब्रिटेन का यूरोपियन यूनियन से नाता तोड़ लेना ही सही है क्योकि यूरोपियन यूनियन ब्रिटेन के करदाओं के अरबो पाॅउन्ड हड़प कर लेता हैअगर ये सम्बन्ध टूटा तो बहुत बड़े पैमाने में अर्थव्यवस्था मे बदलाव आ जायेगा।इतना ही नही ऐसा सोचने वालो को ब्रिटेन मे रह रहे अप्रवासियों से भी बहुत दिक्कत है वो नही चाहते कि कोई बाहर का आकर ब्रिटेन में रहे।
यूरोपिय यूनियन से अलग होने की कवायद अपनी पूरी गति पर है 29 मार्च के बाद से ट्रांजिशन पीरियड शुरू हो जायेगा और दुनिया मे एक नया इतिहास रचने के लिये एक साल का समय होगा। 100 सालों के इतिहास में ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेजा मे को सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ेगा हालाकि कयास तो यही लगाये जा रहे हैं कि टेरेजा अपनी इस हार का दर्द कम करने के लिये आखिरी पलो तक कोशिश करेगी।सार्वजनिक तौर पर टेरेजा कहती रहीं है कि उनकी योजना जनमतसंग्रह के नतीजे का बिना अर्थव्यवस्था को बर्बाद किये सम्मान करने का सबसे बेहतर तरीका है।
उनकी इन बातो से अंदाजा लगाया जा रहा है कि वो हो सकता है यूरोपिय संघ के पास दोबारा जाये समझौतो को आकर्षक बनाये या फिर ब्रेक्जिट के मुद्दे पर दोबारा जनमत करवाये लेकिन स्थिति अभी साफ नही है सन् 1954 के बाद ब्रिटेन में सबसे बड़ा राजनीति सकंट गहरा रहा है क्योंकि ब्रेक्जिट ने न केवल सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी मे मतभेद पैदा किये हैं बल्कि मुख्य विपक्षी लेबर पार्टी मे भी दरार डाल दी है।29 मार्च आने मे कुछ ही दिन बचे है लेकिन ब्रिटेन निर्णय नही ले पा रहा है कि करना क्या है क्योकि ब्रेक्जिट की वजह से यूरोपियन यूनियन के साथ व्यापार सम्बन्ध बिगड़ जायेंगे ट्रांजिशन पीरियड चल रहा है 2020 तक अगर ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन ने मिलकर आपसी मसलों को नही सुलझाया तो खामियाजा ब्रिटेन को ज्यादा भुगतना पड़ेगा फिलहाल जो पीरियड चल रहा है उसमे ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन के कस्टम यूनियन का सदस्य तो है ही जिसका मतलब यूरोपियन संघ मे शामिल सभी देशो की सीमाये ब्रिटिश सामान और माल की आवाजाही के लिये खुली है कोई भत्ता या चुंगी नही देनी है लेकिन कस्टम यूनियन के नियमो का उल्लंघन नही किया जाना चाहिये । अब देखना ये है कि ब्रेक्जिट की प्रक्रिया 29 मार्च से शुरू कर दी जायेगी तो क्या कुछ एसा होगा कि ब्रिटेन यूरोपियन संघ से अलग ही न हो? समझौता ही हो जाये या अलग हो भी जाये तो भी व्यापारिक सम्बन्ध बने रहें जिससे कम से कम अर्थव्यवस्था पर तो ज्यादा असर न पड़े।